संक्षिप्त मार्कण्डेय ब्रह्मपुराणांक | Sanshipta Markandeya Brahamapuranank
श्रेणी : हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
55.86 MB
कुल पष्ठ :
689
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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पृष्ठ-पंख्या
भूतिका अपने शिष्यको अग्रि्दोत्की रक्षाका
आदेश कि *** रर
शान्तिकी स्वुतिसे प्रसन्न होकर अभिदेवका
उन्हें प्रत्यक्ष दर्शन देना *** *** रह
ब्रह्माजीके द्वारा भगवान् सू्यक्रा सवन .. *** २४७
महदर्पि कश्यपका अदितिंकों उपालम्भ देना **” २४९
भगवान् सूर्यका राज्यवर्धनकी प्रजाको वरदान
देना ७० २ ५२
राजा राज्यवघनका अपनी रानीके साथ सूय-
देवकी आराधनाक्े विषय्ें विचार करना *** २५३
सुनत ज्ाहझमणका राजा 'विदूरथकों कुजुम्भके
किये हुए; गतेका परिचय देना *** र५५
विदूरथका वत्सप्रीको छातीसे लगाकर कुजुम्भसे
युद्धके छिये भेजना कम *** २५६
बत्सप्रीका कुजम्भपर आग्नेयास्रका प्रद्दार *** २५७
मुदावती और दोनों पुरत्रोंके आनेसे प्रसन्न हुए,
राजा विदूरथका वत्सप्रीको धन्यवादपूर्वक
इदयसे लगाना नर *** रु५७
विश्ववेदीका झौरिकों बदकाना *** २५९
मर्दर्षि वशिष्ठसे ब्राह्मणोकी सत्युका कारण सुनकर.
राजा खनिजके मनमें निर्वेद दोना ** २५९
( ब्रह्मपुराण )
चीरवेषमें भगवान् श्रीकृष्ण भीतरी मुखंपरष्ठ
मुनियोंका सूतजीसे प्रश्न ”** *** २७७
दातरूपाकी तपस्या... *** *** २७९
वेनके द्वारा महर्षियोका तिरस्कार *** २८०
चेनकी दाहिनी भुजाका मन्थन और (थुका
प्रादुर्भाव कसर *** २८०
गोरूपघारिणी ऐथ्वी और राजा प्रथुका वार्तालाप २८२
पूथुके राज्यमं शस्प-इ्यामल्ा प्रथ्वी *** २८२
वेवस्वत मनुके यशकुण्डसे इलाकी उत्पत्ति *** २८५
रवतका बलदेवजीको अपनी कन्या रेवतीका दान २८६
महर्षि उत्तझझका राजा वहदश्वसे घुन्धुको मारने
का अनुरोध ' केक. रत रद
कुबलाश्वका युद्धके लिये प्रस्थान *** र८७
पुन्घुका चघ के के के ड कक २८७
राजा चय्यारुणके द्वारा अपने कुपुनका त्याग २८८
पृष्ठ-संख्य
सत्यत्रतके द्वारा विश्वामित्रपुत्र गालबकां
छुटकारा तथा भरण-पोषण रू रेट्ट
विश्वामित्रका सत्यत्रतकों सशरीर स्वर्ग भेजना ** २८९
और सुनिका राजा बाहुकी गर्भवती पत्नीको
पतिके साथ चितामें जलनेसे रोकना... *** २८९
महर्पि कपिलके तेजसे सगर-पुत्रोंका भस्म होना २९०
स्वन्द्रमाके द्वारा प्रंथ्वीकी परिक्रमा “** २९१
ऋचीक 'मुनिका अपनी पत्नी और सासके लिये
पथकूरप्थक् चरु बनाकर पत्नीके हाथमें देना २९२
देवताओं और असुरोंका त्रह्माजीवे विजयके लिये
प्रश्न करना कद ** २९४
इन्द्रका रजिके पास जाना और अपनेकों पुत्र
कहकर परिचय देना. *** *** २९६
ययातिका यडठ आदिको शाप २९५
ययातिका अपने छोटे पुत्र पुरुको बुढ़ापा
लेनेके लिये कहना... *** ** २९६
कातवीय अजुनकी समुद्रमें जलक्रीडा .. *** ३००
मिं पुलर्त्यका तवणकों कार्तवीर्यंके कारागारसे
छुड़ाना *** ३००
कातबीयकों महर्षि वदिष्ठका शाप * ३०१
राजा ज्यामघका युद्धमें जीती हुई राजकन्याकों
पुत्वधूके रूपमें अपनी ल्लीको देना... *««
मणिके तेजसे प्रकाशित सन्नाजितकों देखकर
द्वारकावासियोका आश्वय**
भगवान् भीकृष्णका जाम्बवान्की शुफामें प्रवेश
श्रीकृष्णका स्नाजित्को मणि समर्पित करना ***
अशकूरसे मिली हुई मणिको भगवानका पुन
उन्दींको रखनेके लिये देना केक
मुनिर्योका व्यासजीसे प्रश्न “** ३४१८ .
श्रह्माजीका मदर्षियोंकों उपदेश * ३१८ '
अदितिको भगवाचू सूर्यका वरदान... +«+ २२६
भगवान् सूयके तेजसे देत्योंका दग्ध होना *** ३ २७
तपस्विनी पावतीकों न्रह्माजीका वरदान *** ३३०
पावंतीदेवीका अपनी तपस्या देकर न्नाझण-
बालककी आइदसे रक्षा करना न
पावतीजीका स्वयंवरमें मद्दादेवजीके चरणोंमें
मांला अपण करना. ***
पावंती और शिवका विवाद
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३०४
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२३३
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