संक्षिप्त मार्कण्डेय ब्रह्मपुराणांक | Sanshipta Markandeya Brahamapuranank

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९ पृष्ठ-पंख्या भूतिका अपने शिष्यको अग्रि्दोत्की रक्षाका आदेश कि *** रर शान्तिकी स्वुतिसे प्रसन्न होकर अभिदेवका उन्हें प्रत्यक्ष दर्शन देना *** *** रह ब्रह्माजीके द्वारा भगवान्‌ सू्यक्रा सवन .. *** २४७ महदर्पि कश्यपका अदितिंकों उपालम्भ देना **” २४९ भगवान्‌ सूर्यका राज्यवर्धनकी प्रजाको वरदान देना ७० २ ५२ राजा राज्यवघनका अपनी रानीके साथ सूय- देवकी आराधनाक्े विषय्ें विचार करना *** २५३ सुनत ज्ाहझमणका राजा 'विदूरथकों कुजुम्भके किये हुए; गतेका परिचय देना *** र५५ विदूरथका वत्सप्रीको छातीसे लगाकर कुजुम्भसे युद्धके छिये भेजना कम *** २५६ बत्सप्रीका कुजम्भपर आग्नेयास्रका प्रद्दार *** २५७ मुदावती और दोनों पुरत्रोंके आनेसे प्रसन्न हुए, राजा विदूरथका वत्सप्रीको धन्यवादपूर्वक इदयसे लगाना नर *** रु५७ विश्ववेदीका झौरिकों बदकाना *** २५९ मर्दर्षि वशिष्ठसे ब्राह्मणोकी सत्युका कारण सुनकर. राजा खनिजके मनमें निर्वेद दोना ** २५९ ( ब्रह्मपुराण ) चीरवेषमें भगवान्‌ श्रीकृष्ण भीतरी मुखंपरष्ठ मुनियोंका सूतजीसे प्रश्न ”** *** २७७ दातरूपाकी तपस्या... *** *** २७९ वेनके द्वारा महर्षियोका तिरस्कार *** २८० चेनकी दाहिनी भुजाका मन्थन और (थुका प्रादुर्भाव कसर *** २८० गोरूपघारिणी ऐथ्वी और राजा प्रथुका वार्तालाप २८२ पूथुके राज्यमं शस्प-इ्यामल्ा प्रथ्वी *** २८२ वेवस्वत मनुके यशकुण्डसे इलाकी उत्पत्ति *** २८५ रवतका बलदेवजीको अपनी कन्या रेवतीका दान २८६ महर्षि उत्तझझका राजा वहदश्वसे घुन्धुको मारने का अनुरोध ' केक. रत रद कुबलाश्वका युद्धके लिये प्रस्थान *** र८७ पुन्घुका चघ के के के ड कक २८७ राजा चय्यारुणके द्वारा अपने कुपुनका त्याग २८८ पृष्ठ-संख्य सत्यत्रतके द्वारा विश्वामित्रपुत्र गालबकां छुटकारा तथा भरण-पोषण रू रेट्ट विश्वामित्रका सत्यत्रतकों सशरीर स्वर्ग भेजना ** २८९ और सुनिका राजा बाहुकी गर्भवती पत्नीको पतिके साथ चितामें जलनेसे रोकना... *** २८९ महर्पि कपिलके तेजसे सगर-पुत्रोंका भस्म होना २९० स्वन्द्रमाके द्वारा प्रंथ्वीकी परिक्रमा “** २९१ ऋचीक 'मुनिका अपनी पत्नी और सासके लिये पथकूरप्थक्‌ चरु बनाकर पत्नीके हाथमें देना २९२ देवताओं और असुरोंका त्रह्माजीवे विजयके लिये प्रश्न करना कद ** २९४ इन्द्रका रजिके पास जाना और अपनेकों पुत्र कहकर परिचय देना. *** *** २९६ ययातिका यडठ आदिको शाप २९५ ययातिका अपने छोटे पुत्र पुरुको बुढ़ापा लेनेके लिये कहना... *** ** २९६ कातवीय अजुनकी समुद्रमें जलक्रीडा .. *** ३०० मिं पुलर्त्यका तवणकों कार्तवीर्यंके कारागारसे छुड़ाना *** ३०० कातबीयकों महर्षि वदिष्ठका शाप * ३०१ राजा ज्यामघका युद्धमें जीती हुई राजकन्याकों पुत्वधूके रूपमें अपनी ल्लीको देना... *«« मणिके तेजसे प्रकाशित सन्नाजितकों देखकर द्वारकावासियोका आश्वय** भगवान्‌ भीकृष्णका जाम्बवान्‌की शुफामें प्रवेश श्रीकृष्णका स्नाजित्‌को मणि समर्पित करना *** अशकूरसे मिली हुई मणिको भगवानका पुन उन्दींको रखनेके लिये देना केक मुनिर्योका व्यासजीसे प्रश्न “** ३४१८ . श्रह्माजीका मदर्षियोंकों उपदेश * ३१८ ' अदितिको भगवाचू सूर्यका वरदान... +«+ २२६ भगवान्‌ सूयके तेजसे देत्योंका दग्ध होना *** ३ २७ तपस्विनी पावतीकों न्रह्माजीका वरदान *** ३३० पावंतीदेवीका अपनी तपस्या देकर न्नाझण- बालककी आइदसे रक्षा करना न पावतीजीका स्वयंवरमें मद्दादेवजीके चरणोंमें मांला अपण करना. *** पावंती और शिवका विवाद रे० हे ३०४ ् ण धर दे 0 धर २३३ ' देर




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