हिंदी गाथा सप्तशती | Hindi Gatha Saptshati

Hindi Gatha Saptshati by नर्मदेश्वर चतुर्वेदी - Narmdeshwar Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १० ) (४) वाक्पतिरात यह सदाराष्ट्रीय प्राकन काइय 'गइडयदो” तथा मधघुमथन पिचय' का रचयिता समझा नाता है । इसकी चर्चा आनन वद्धन, अभिनवशुप्र और डेसचन्द्र ने मी की दै। नीच के प्रतिहार राता यशोवस्मेन का यर राचफरि था और 'वाक्परिरात” परमार सता सुच् का एक यिरुद भी था। भवभूति का यदद समसामयिक दै। यह आाीं शना ही के उत्तगद्ध का ठडरता है 1 (६) कर्ण अथया कर्णरान अफोला निले के तरहला प्राम से इस नाम ये कई सिक्के मिलने हैं। मिराशी के अनुसार थद सातवादइन घशीय शक रात है निसका समय तीसरी शताब्दी का दितीय चरण दे । (७) अपन्तिवम्मेंन यद नरीं शता दी वा प्रसिद्ध कश्मीर नरेश है निसके दरबार में “ध्वन्यालोक' ये श्रशुता आनन्तवरद्धन रदते थे । (८) इशान यह बाणमद्ट का मिय तथा समसामयिक श्राइन का ग्रसिद्ध कयि था चिसका सामे लेख 'काइस्वरी' मे पाया जाता है । इसका समय सातर्गा शता ही का पूर्पोद्ध है । (६) दामोतर यर आठ शतानी के कश्मीर नरेश नलयपीड वा प्रधान मरी हो सकता है को 'कुट्टनीमतमू” वा र्घयिता घतलाया नाता है। उससे रन्नापनी! की कया और एक पद्य पाया नाता है | (१० ) मयूर बाणमट्ट ने इसे प्राइन भाषा का करि और अपना ग्सुर बतलाया दे । इसतिए इसका समय सातरीं शना ही का पूवाद्ध होना चादिए । (९१) बप्प स्यामी यट प्रसिद्ध करि तथा नैन आचार्य सममा नाता है को प्रतिह्वार राता नाग वा लोक अथत्रा द्वितीय नाग का मित्र पब समसामयिक था । चन्द्रप्रम सूरि की रचना बप्पभट्रि चरिन” ( प्रभागक चर्ति | ग इसका उललेस मिलता दै 1 इसरा समय नया शनाब्दी का पूर्वाद्ध होना चाहिए 1 ( १९) बल्लम अधया भट्ट वल्लम आनन्दयद्धन छत 'दिवीशतक ची टीफा में कय्यत ने अपने को बल्लमेव का पीय का है चिसका समय लसर्या शताली का चतुर्थ चरण है। अपनी रचना “भिक्षाटन” काव्य मे कि ने पूर्णेर्ा करि कालिदास तथा बाणभट्ट की चची की हू | इस प्रहार इसका समय आठीं न्मीं शता दी दो सकता है ।




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