वेणीसंहार - नाटक | Venisamhara Nataka
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.2 MB
कुल पष्ठ :
355
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कथां-सार श्प्ू
उस वीर वालकने अपने भुजवलसे अजुं नके तमाम वाणोंको काठ्ते हुए विद्युत
गदिसे अजु नके उस प्रशस्त रथको कषणभ रमें वाणोंसे.ढक दिया । वीर वालकके
इस अपौरुपेय पराक्रमको देखकर उभय पक्षके सैनिक तथा भगवान् चासुदेव
भी कहने लगे-शावाद चालक ! शावाश !! यहू सुतकर गाण्डीवघारी अर्जुन
तिलमिला उठे और इस वार उन्होंने अति तीकषण वाणोंसे बालकके रथ तथा
घनुपकी प्रत्यब्चाको ही काट डाला । किन्तु फिर भी वह वीर बालक
विचलित नहीं हुआ । झट तलवार खींचकर पैदल ही अजुं नपर टूट पड़ा 1
उघर कण भी दरवषणसे अपने असहाय पुत्रकी सहायता करने लगे । इतनेमें
एक दूसरे रथपर उछलकर वह वालक चढ़ गया और कहले लगा-“अरे, मेरे,
पिताकी निन््दामें रत पाण्डुकुमार अजुन ! देख, अब मेरे वाण तेरे अज्ञोंके
अतिरिक्त कहीं नहीं गिरेंगे ।* ऐसा कहकर उसने गाण्डीवधारी अर्जुनके समस्त
दारीरको वाणोंसे वींघ ढाना । अजुन उसके तीक्षण वाणोंकी व्यथासे व्यथित
हो उठे भर इस वार कऋ्रुद्ध होकर सहख्र सूर्थकिरणोंसे भी अधिक प्रकासमान
अपने दक्तिवाणकों वालकके ऊपर छोड़ दिया । परन्तु उससे भी यह वालक'
विचलित नहीं हुआ । छीघ्रतासे उसने भी परशुरामके कुठारके समान तीक्ष्ण
घारवाले चाणकों प्रत्यब्चापर चढ़ाकर क्णपर्यन्त खींचकर एक ही निक्षानेमें
अजुंनके उस शक्तिबाणकों आघें मागेमें ही काट डाला । पुतडच भगवान:
वासुदेव कहने लगे-शावादश वालक ! दावाद !! यह सुन अजुनका दर ज्ुक
गया और कणके अट्हाससे समरमूभि गूँज उठी । यह देख अजुं नने तिलमि--
लाकर कहा--अरे रे, कण ! तूने तो मेरे परोक्षमें मेरे वीर वालक
मभिमन्युका बघ किया था पर गाज मै तेरे सामने ही उसका बदला लेता
हूं । यह कहकर इस वार उस महागाण्डीवको सम्हाला जिसका शब्द
ब्रज्नपातके समान था । इसनेमें महारथी कणेने मी अपने “कालपृष्ठ' नामक
घनुपकों खौचा । दोनों महारथियोंके घनुपकी प्रत्यब्चाकी ग्गनभेदी टड्ारोंसे
कर्ण-विवर फटने लगे। पर अन्तमें कर्णके हाथोंसे घनुप गिर पड़ा, कौरवसेना
चिल्ला उठी--'हाय कुमार वृषसेन मारे गये !' त्तदनन्तर कर्णका सहचर
सुन्दरक यह सब समाचार लेकर इतस्ततः भटकता हुआ उस वयवृक्षके नीचे
बेहोश दुर्योधनके पास पहुँचा । उस समय कुछ होशमें आकर दुर्योधन अपने
सबसे प्रिय छोटे माई बीर दुः्शासनके वघका ताजा समाचार सुनकर विलख-
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