इतिहासकार जेम्स टॉड | Itihaskar James Tod

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6 इतिहर्मिकार जेम्स टॉइ दि से 981 का शितालस मिला तथा बादोती से. मानपुरा होकर मालवा में धूमनार की गुफा भाटि प्राचीन स्थान देखता हुमा भालरा पाटन भाया जहाँ उस चद्धावठा नयरी व सडहरो मे कई श्राचीन शिलालख प्राप्त हुंप जिनमे दिस 746 वा राजा दुगगणर का शिनालिख सर्वाधिक प्राचीन था । इसमें झनिरिक्ते यहाँ से बह मपने साथ कई देव मूतियाँ त मया। कसा हरकॉर्टा से थोड़ी टूर) के मदिर से सया वि से 795 ग्रहण राजा शिवयण के समय वा) दा सख मी मिला, डॉ. घाभा में. बताया कि यहें सब भी टॉइ मे गुरू स पढा नहीं गया था ।' कनस टाई विजातिया गया. नहाँ उस मामिश्वर के काल वा (वि स 1226 का) चट्टान पर उत्कीण एक बडा लेख मिप्ता। इसके बात वह मनाल वे. सडहरों का धवलोइन करते हुए फरवरी 24, 1822 ई को बेगू पहुचा । बगूं से टॉइ हाथी पर सवार होकर बहाँ के रावत से मिलन गया । दरवाजा छोटा होने मे महावते ने हावी ले जाना ठोक नहीं समभा किस्तु इसमे पूद एक हाथी. वा. भदर गये. हुय देख कर टॉइ मे सहावत को हाथी भदर नलेजान वो भाशा दी। लाई व दरवाजे के बीच पुर पर जाते ही हाथी भड़क गया जिससे हों टूट बया पोर टॉइ गिर पढ़ा । दो दिन बाद होश भाने पर जब बहू रावत से मिलते गया तो दरवाजे को गिराया हुमा देख कर उसे बढ़ा दुख हुमा या ऐविह्वासिक यादगार भयवा घराहर को वह किसी भी कोमत पर मेप्ट होत हुपे महां देख सकता था। 'दाइ की एंतिहामिक सग्रह की रूचि का पा समक्रा जा सकता है कि जहाँ कहा भी वह जाता ता वहाँ मे वद्ध मौर प्रनुमवी जानवार सोगा को बुला कर राजपूता की वौोरता तेया विभिल जातियों की रीनिनतीतिं 13 टाड न. इस शिलालख का जो सारांश या उसमे पौइ्व भजु न वे दिरोधा नामक रासम के साय लड़ने का जा वत्तांत लिखा है. वह कपोत अैल्पित है । श्राका को इस शिलातेस के फोटो मे मैंहों उसका उल्लेख महीं मिला | उसका सब 748 नहीं क्न्तु 746 है । ऐसा प्रात होता है कि डॉड के गुद उस लख को ढीक से नहीं पढ़ महा यथा । द्रप्टब्य पौमा कर्नल जेम्स टोंड बंप जीवन चरित्र प्र 16 14 टॉद ने इस सख का सबतू 597 व्या तथा जारी हैं। बताया जा मामा के मनुसार सब वो गलत है । वही 16 17 15 बही पृ 17 18




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