औरंगाबाद का अतीत | Aurangabad Ka Ateet
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.18 MB
कुल पष्ठ :
382
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
Dr. Rajmal bora
hindi books author , assistant professor in 1960 approximately 1970.
completed first ph.d in the hindi department of sri venkateswara Andhra pradesh state university, Tirupati.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उन 7 लिखना शा जम फिर । चिन्तामणि शाम «न *, गढासे समय मेने विशेष
अभिगांच ली और धीर धघीर टिप्पणियां तंयार की । पुस्तक वाद मैं लिखी 1 इसी
तरह उपन्यास पर भी टिप्पणियाँ तैयार की ओर पुस्तक न्राद में लिखीं । पहले
लेख लिखे और वे लेख हरे थी है |
अआरगानाद शहर उमर समय छोटा था | युनिवर्सिटी की स्थापना हुए दस वर्ष
ही हुए थे । १९५८ उ॑. में सुनिवॉर्पिटी की स्थापना हुई थी । दिसम्नर १९६८ ई
पे ही यूनियर्सिटी का दशाल्दी समारोह हुआ । ममारे हिन्दी ज्िभाग के साथ-साथ
कामर्स विभाग और समाजशारा विभाग की थी स्थापना हुई । कामर्स विभाग में
ब्रापट साहब तथा उनके दो सहयागी गोगटे और चिश्ती साहब की नियुक्तियों हुई |
इसी तरह समाजशासनविभाग में कुलकर्णी साहब और उनके दो सहयोगी सुधा
क्रालदाते और निलावर की मियुक्तियाँ हुई । यो तीनों विभाग उस समल नये-नये
थे
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सुस्कर भवन, मप्रिल कार्नर, कोतवालपुरा
८्यक्रट अम्बकर के घर पर अधिक दिन रहना सभव नहीं था । घर की
खोज शुरू हो गई । एक सपाह के भीतर मैं घर खोज लिया । मिल कार्मर
के समीप कोतवालपुरा में सस्कर साहेब का मया बंगला बना था । उसमें तीन
कमरे मिल गए । उसमें और थी दो पड़ोसी थे | एक पड़ोसी का नाम स्मरण
नहीं है । दूसे पड़ोसी पुसणशिक थे । मैने ब्यकट का घर छोड दिया और दिसम्बर
के दूसरे सप्ताह में मिल का्मरवाल मकान में आ गया । एक दिन सुस्कर साहब
नें पूछा --- मकान का क्या नाम सखूं 7 मैंनें कहा 'साकेत' रखो । सुस्कर साहब
नें मकान का माम साकेत रखा ।
पत्नी और जच्चे अभी आए नहीं थे | जनवरी में वे आए । फरवरी-मार्च
चर्ष के अन्तिम महीने थे । परीक्षाएँ सिर पर सवार थी । बच्चो को स्कूल में भेजना
था । तिरुपति में अनिल प्रथम कक्षा में तथा सुमिल तीसरी कक्षा में पढ़ रहे थे ।
वहाँ की प्रोग्रेस रिपोर्ट मेरे प्राप्त थी । स्कूल छोड़ने के प्रमाण-पत्र भी थे । उनके
साथ बच्चों को लेकर होली क्रास स्कूल पहुँचा । सिस्टर गूंजिन मुख्य अध्यापिका
थी । उसने बच्चों को देखा । प्रमाण-पत्र देखे । प्रोग्रेस रिपोर्ट देखी । प्रवेश हो
गया । अनिल को प्रथम कक्षा में और सुनिल को तीसरी कक्षा दो प्रवेश मिल
गया । नियमानुसार दोना स्कूल जाने लगे । मिल फार्मर से छावनी तक बस जाती
औरगाबाद का ऊउतीत ,/ प्र
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