मंत्रविधा | Mantravidhaa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23.01 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषार्टीकासाइिता । ८
अथ षटकमंणा लक्षणम ।
रोगकृत्याश्रह्ादीना निरास झान्तिरीरिता ।
वय जनाना सवेपां वि वेयत्वसुदीरितम ॥
प्रवत्तिरोव संवेपा स्तम्मन समुदाडतम ।
स्निग्धाना द्वेपननन मिथोविद्रेषण मतम् ॥
उच्चाटन स्वदेनादेश्रेझन परिकीर्तितम् ।
प्राणिना प्राणहुरण मारण समुदाह्तम् ॥
स्वदेयतादिक।लादीन् ज्ञाता कमाणि साधयेत् ८
जिमक ड्वारा राग, फ़त्या आर ग्रह इत्यादिके टोपकी
झाति टोती हैं उसको झातिक्म फ्हत दे । जिसके ढारा
जीवाका वश्ीमूत क्यिजाता है उसका नाम वहीक्णण है ,
जिसके ड्वारा जीवाफी पमज़त्तिका राध तोता है, उस कायकों
स्तमन कहते ह । आपसम 1समभावापय पुरुषाकी प्रीति नष्ट
कनेम उस प्फ्रियाका विद्रेप कहते दे । जिसके ढ्वारा फ्सी
मनुष्यका अपने तडा इत्यातिसे दूर किया जाय उसका उच्चा
तन कहत दे । जिसके होगे जीवका प्राणनाश किया जाय
उसका नाम मारण है । यदि यह सब काय करन हा ता
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