राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राह के सेनानी | Rajasthan Me Swantrata Sangram Ke Senani
श्रेणी : इतिहास / History, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
41.42 MB
कुल पष्ठ :
864
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गोविन्द गुरू श्रौर
संप सभा का श्रभियान
की मम : संवतु १६१५४ मार्गशीर्ष शुक्ला पूर्णिमा
१० दिसम्बर सचु १८५८
* भ्वसान : संवदु १९७७, सच १९६२०
थ- सानागढ़ की पहाड़ी
का मोपण नर सहार :.. ७ दिसम्बर १६०८
गोविन्द गुरु का जन्म
गोविन्द गुरु ड्रंगरपुर राज्य के वाँसीया ग्राम के मूल निवासी थे । बासीया ग्राम
हैंगरपुर से २३ मील की दूरी पर है। गोविन्द गुरु जाति के बरणजारे थे । उनका जन्म
सबत् ९१४ भा्गशीर्प शुक्ला पुणिमा २० दिसम्बर १९४५८ को हुआ था ।
भीलो की सामाजिक स्थिति
है गरपुर, वासिवाडा, दक्षिणी मेवाड, सिरीही, ईडर तथा गुजरात श्ौर मालवा के
घीच के तमाम पहाड़ी प्रदेशों मे मुख्यतः थ्रावादी भील श्रौर मीणों की है। यही वर्ग
समाज का सबसे पिछड़ा हुमा, सबसे निर्घन श्रौर सबसे श्रधिक॑ शोषित वर्ग रहा है ।
भील श्रौर मीरे श्रादिवासी माने गये हैं । उनका वास पहाडो श्रौर जगलो में ही रहा है।
राजाओं के. जमाने मे भील श्रौर मीणा जुरायम पेशा कौर्म समभकी जाती रही है । (चोर,
डाकू श्र लूटेरो की हिंसक जाति) भ्रतः उन्होने इन जातियों को श्रपने शासन के प्रभाव
से भपने अधिकार में दबाए हुए रखा । राजा लोग इन तथाकथित हिंसक जातियों में
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