आपका शिशु | Apka Shishu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.48 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)७ हे
शीघ्र ही शिशु हाथ से स्पर्श करने लगता है, श्रपनी साता की धघोती का
छोर पकड़ उससे श्रपने हाथों को मलता है । यह क्रिया उसमें स्वाभाविक रीति
से उत्पन्न होती है श्र बह श्न्यमनस्क होकर यह क्रिया करता है । उसका
सारा ध्यान इसी वेदन पर रहता है ।
तीसरे मद्दीने सें वह किसी प्रयोजन से जो भी वस्तु उसके समीप श्राती है
उसे पकड़ता हे श्रौर धीरे-धीरे पकड़ी हुई वस्तु को अपने मुँह में डालता हे ।
जब उसे कुछ नहीं मिलता तो. श्रपने श्रैंगूठे को ही पकड़कर मुँह में दालकर .
चूसने लगता हैं । कभी-कभी एक हाथ से दूसरे को पकड़कर मुह में ले जाता
है । बहुधा दोनों हाथ मिल-जुलकर दो काम करते पाये रये हैं ।.
दृष्टि और स्पश का सम्वन्घध--श्भी तक शिशु का ध्यान श्रपने अंगों की
श्योर नहीं गया । उसे यह भी पता नहीं कि उसका शरीर है भी या नददीं । जब वह
चार मास का होता हे तो उसे श्रपने हार्थों का श्रनुभव होता है और वड़े ध्यान
से चहद भ्रपने दार्थों को देखता रहता हे । कितना झ्ानन्द उसे अपने नन्हें-नन्हें
हाथों दौर छोटी उँगलियों को देखकर होता होगा जिनको पकड़कर वह खेलता है
श्रौर बड़े चाव से मुँह में डालता है । कभी कभी चद्द अपने हाथ पकड़ने के बद्दाने
किसी श्र वस्तु को पकड़तता है । इससे उसका स्पर्शवेदन बढ़ता दी जाता
है। जो भी वस्तु उसके समीप श्ती है या जिसे चह देख पाता है उसे
पकड़ने की चेप्टा करता है । अपने इसप्रयरन में वह कभी सफल दोता है. श्र
कभी असफल 1
उतनी दृष्टि से नहीं हसें अपने हाथों से वस्तुओं की जितनी जानकारी ग्राप्
होती है । अतःशिशु को ऐसी सामग्री देते रहना चाहिये जिसे पकड़ कर वह श्रपने
सुँह तक पहुँचा सके । माता का मुँह भी शिशु के लिये एक श्कर्पक खिलौना
है जिसके सारे भाग का निरीक्षण-परीक्षण शिशु अपनी कोमल-कोमल उंगलियों
से करता रहता है ।
कितने हर्प का हे वदद दिन जब शिशु अपने पाँवों का पता लगा पाता हैं ।
झपने पाँव के अँगूठे को पकड़कर मुँह में डालने में उसे झ्पार हर्प होता दे ।
शरीर के विविध अंगों की खोज में वर्ष के बाकी महीने वीतते हैं । चपं के
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