फारसी साहित्य की रूप रेखा | Farsi Sahitya Ki Rooprekha

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Book Image : फारसी साहित्य की रूप रेखा  - Farsi Sahitya Ki Rooprekha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) (१२) झ्रमसाले कुरान (कुरान की लोकोक्तियों एव मृहावरों पर एक प्रणयन ) । (१३) 'फारसी साहित्य की रुपरेखा' श्रग्ेजी भापा में ।. प्रकाठाक ईगन सोसाइटी कलकत्ता । (१४) वयादे हिन्द (भारतवर्ष के सबंध में फारसी भाषा में रोचक कविता )--चित्रो, उद्ूं और श्रग्रेजी भ्रनुवाद सहित । (१५) भारतीय पत्थरों पर फारसी लेख--१६५७, प्रकाशक ईरान सोसाइटी कलकत्ता । यह वात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि विगत कुछ वर्पों में ईरान में कई मप्रिमडल भ्रस्तित्व में ग्राये श्रौर कुछ का अन्त हो गया, किन्तु यह बडे उत्साह और हर्प की वात है कि ईरान के प्रत्येक मन्रिमडल ने डॉ० हिकमत के सहयोग की महत्त्वपूर्ण अपेक्षा की । वह प्रत्येक मनिमडल में सम्मिलित होने के श्रतिरिक्त सयुक्त-राप्ट्रसघ की “श्राधिक सास्कृतिक सुरक्षा समिति जिसे “यूनेस्को' के नाम से भझ्रभिहित करते हे, श्राप ईरान के स्थायी क्णधारो में से रहे। इसी का्य-काल में भारतवप की श्र से उप-राप्ट्रपति डॉ० राघाकृप्णन्‌ भी रहे हैं। शाप प्रथम श्रेणी के राजनीतिज्ञ होने के श्रतिरिकत चैक्षिक मामलों में भी श्रत्यन्त जानकारी रखते है । मत्री होने हुए भी श्राप तेहरान-विव्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे ग्रौर भ्रत्यन्त तल्लीनता के साथ छात्रों को शिक्षा देते रहे । भारत- वर्ष के साथ झ्राप का झ्रटूट प्रेम है । शभ्रतएव जव प्रथम वार ष ही कि




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