महाभारत | Mahabharat (sabal Singh Chohan Vicharit)
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42 MB
कुल पष्ठ :
1128
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आइदिपव्वै । १४
ते वैशस्पायन कथानुसारा। जाते पार तरे संसारा ॥
हराजा रनों कथा विस्तारा। काशौराजा वौर सुवारा ॥
गएकत्या सौनि तासु घर रहंई । तिनके नास सुनी तब कहंडू ॥
गछास्वे जेठि अश्िका साना । सबते छोटि अबलिका जाना ॥
कर्घरषें दश दौते जब तासू । तंबहिं स्वयम्बर करेउ प्रकासू ॥
ताषिश देशके राजा आये । सत्यावती कतहूँ सुनि पाये ॥
गरपषमपाहि कहा तब रानी । बन्ध विवाह कन्या आनी.॥
गैक्लौति स्वयस्वर कत्या सौजै। दूनों बन ब्याह करि दौजे ॥
। जौति स्वयस्व॒र कत्या ल्यावो । एव हमारो से सति जावी ॥
सुनिकं सौनस रघ साजा । काशो गये जहूँ। सब राजा ॥
तौनों कत्या रूप अअपारा। पटथूषणयुत यज्ञ सँकारा।
ए सनवाच्छित दर चाहत सोई.। कर जयसाल उपस्थित होई
है ... तीनों कत्या एक संग, जयमसाला लिये हाथ ।
हिं। सनदाच्छित वर चाहतीं; आये वह नरनाघ ॥
ई तौनों कत्या एकहि साधा । सौघस जाइ गहरी त्यहि हाथा
है| लौनों कत्या रघहि चढ़ाई. । हँसका रथ तब चला उड़ाई. ॥
रा ल् कंत्या आरत नाद एकारा। रण ठाढ़ तव सबे सुवारा ॥
रा भयो युद्ध तब वरणि न जाई.। सौषम जीते सब वरियाई ॥
गलन अस्त अनेक प्रहार । सीघस दौर काटि सब डारे ॥
पबनकों वर भौषस पाही । को जौसें सन्स ख रणसाही ॥
हार सब राजा वलधारी । मौषम लैंगया तौनउँ करे ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...