उन्नीस सो चालीस | Unnis So Chalis

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Unnis So Chalis by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १७ | आधिपत्य श्राया । उसने भी चरसाया की सन्धि में लगाये हुए वन्धन तोड़ने ध्यारम्भ कर दिये । श्पने शिल्प के विकास के सिलसिले में उसका ध्यान मद्दासमर की भाँति इस चार भी पूर्व की शोर गया । इस बार भी वह चसरा ही 'पहुँचना चादता था । पर चद् रास्ता दूसरा लेना चाहता था | वारसाव श्रीर कीच ( रूस के उक्रैन प्रान्त में ) दोकर वहाँ पहुँचने की उसकी इच्छा थी । पर सोचियत रूस की शक्ति उक्रैन में बहुत इृद़ृता-पूवक जमी थी। इसलिये कीव का रास्ता '्ासान नहीं था | तब जरमनी ने फिर से महासमर के पहलेवाला रास्ता दी. श्पनाया । उसने थ्यास्ट्रिया को प्पने में मिला लिया । १९३८ सें घ्सने यूसीस्लाविया श्र हंगेरी के साथ व्यापारिक सन्धि करने के साथ-साथ समूचे ज़ेकोस्नोवाकिया पर 'माधिपत्य जमा लिया । इसके चाद मेमेल लिया घोर शिंर दान्त्तसिय 'ोर पीनिशकारिट पर उसकी निगाद्द यद । सोच दर जरमन उपनिर्शों को फिर से 'सात्मसात फरने है सिलसिय में जरमन नात्सी नेता टन सब छोटो-लारी विचयों को नदन्प्रयाधित जर्मन राष्ट्र फी रूम को उत्तेजित फरने के लिये चटनी की तरपर इस्तैमान् करना चादते थे। पर स्िटेन-ांस घापने को छोर घथिक नहीं रोफ सके । उन्हें जर्मनी मदासमर मे पढले वी प्यपेचा था 'धिक दा प्रतिएस्ट्री पग्य टी न | हित ४ ही जे 2| न श्् एप कान मं बलनवी न्थ्द दा अं थ्प्म न्देद तह शर्प कम्न्ण्य




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