मारवाड़ का इतिहास | Marwar Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रैज ) कक फेल उसे कद कान, टीन लिन, नि, लीन बिग... बिक, किन मद. कि लीक... कि, भाप की /%... भला अल मीन दि वि दि दि वि व व वि व न डुर्गराज श्वादि तीन नाम तो दोनो शिलालेखों में समान हैं । चोथा नाम प्रथम शिलालेख में 'नन्नराज' श्रौर दूसरे में 'नन्द्राज' है । छोर पहले शिलालेख में नन्नराज स्वामिकराज का पुत्र और दूसरे में नन्द्राज उसी स्वामिकराज का पुत्र कहा गया है जिससे जाना जाता है कि नन्द्राज, नन्नराज का छोटा भाई हो शोर स्वामिकराज के श्रनन्तर राज्य का स्वामी पहले नन्नराज डुआ्आा हो शोर नन्नराज के झनन्तर उसका छोटा भाई नन्द्राज राजा डुश्रा हो, ऐसा प्रतीत होता है । चोथा इससे श्र्वाचीन संचत्‌ &१७ का राप्ट्रकूट परवल का शिलालेख भोपाल के राज्य के झन्तर्गत पठारी गांबर में मिला है, उसमें तीन नाम है :-- १ जेज्ञटर २ ककराज ३ परवल् परवल की कन्या रखणा देवी गोड़ देश के पाल वंशी राजा धर्मपाल3 को व्याही थी । उक्त शिलालेख के चोदहवें पद्य में परचल का नागावलोक को पराजित करना लिखा है | वह प्रतीदार वत्सराज का पुत्र नागभट प्रतीत होता है । नागमट४ का शिलालेख मारवाड़ राज्य के झन्तगंत वीलाड़ा परगने के गांव बुचकला मे संचत्‌ ८७२ का मिला है, वद्द इस परवल के शिलालेख के समय के समीप काल का होने से जाना जाता है कि प्रकृत शिलालेख का नागावलोक उक्त प्रतीदार नागभट ही होना चाहिये । पांचवां उससे श्र्वांचीन शिलालेख राष्ट्रकूर तुडड१. धघर्मावलोक का वोघ गया का हे । उसमें तोन नाम हैं -- १ नन्नगुणावलोक २ कीतिंराज ३ तुझ्ञघर्मावलोक तुझे की कन्या भाग्यदेवीर् पालवंशी घ्मपाल के वंशज राजपाल को व्याही थी । राज्यपाल घमंपाल से पांचवां पुरुष था । जिससे इस शिलालेख का समय ऊपर के ' शिलालेख से उत्तर काल में खिद्ध होता हे । २. अत 0108. ए01 4 २ 0 साहब 'जेज़' पठते है, परन्तु प्लेट में है । ३. देखो कीलहानं नादरन लिस्ट नमस्वर ६२३५. ४ इयणिडिका, जिद्द & प्ू० १०४ ५. देखो राजेन्द्रलाल मित्र का बुद्ध गया की पुस्तक पृष्ठ १४५. कीलहान नादंरन लिए नं० ६३० कर ६ देखो कीलहान नादरन लिष्ट नचर ६४० दि. उक्त अनेक, अल, लक ही




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