गोर्की की श्रेष्ठ कहानियां | Gorakee Ki Shresht Kahaniyan
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, लघु कथा / Short story
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.6 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
मक्सिम गोर्की - maxim gorki
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व या कि बा
'मौर ठनके ऊपर एक पढ़ा सा टार का घोरा ढाल दिया 'घौर इस सरह थनाई
हुई उस छुायादार जगह में सिर के नीचे हाथ का वेकिया लगाकर सेट गया
और श्रासमान की 'र देखने लगा । जय मालदा उसके पास रेत में श्याकर
' चैठ गई तो उसने उसकी झर सुद घुसा लिया । मादा ने देखा कि वद
श्रसन्तुप्ट श्र ब्यय्र दो रददा था ।
“क्या चात है, कया तुम ध्पने बेटे को देखकर खुशी नहीं हुई ?””
उसने हंसते हुए पूछा ।
“घह यहाँ है “मुझ पर देसता हुआ” ””” * सिफ तुम्दारी
चजदद से !'” चासिली घुर्रया ।
“द्योहद ! मेरी वजद से ?” मालवा ने सूक झाश्रये से पूछा ।
तुम्हारा क्या स्याक्न ऐ ?””
दुष्ट, पुराने पापी ? थ्रव तुम सुकत से क्या कराना 'चाहते हो ? मैं
तुम्दारे पास्त ्ाना चन्द कर दूँ ? घच्छी वात है, में नहीं ाऊँगी ।””
“तुम जादूगरनी सो नहीं हो ?” वासिक्ी ने दाटते हुए कद्दा--
पट ! तुम सब एक से दो । वह मेरे ऊपर इंस रहा ऐ धर तुम भी पद्ी
कर रददी दो”*”””ीर फिर भी तुम मेरी सबसे गहरी दोस्त दो ! शुम सुम
पर किसलिए हंस रही दो--शेतान ?”” हतना कह कर उसने साल्वा की सरफ
पीठ कर की भर चुप होगया 1
'्पने घुटनों को मिद्ाकर शरीर को दिखाते ु ...... था अपनी कंजी
झाँखों से दमकते हुए समुद्र को देखने लगी । उसके 'ेटरे मुस्कान छा
रहीं यो-उन विजयी मुस्कानों में से एक, श्ञो उन नारियों के ५. « अप्यधिक
परिमाण में रदठी ऐं जिन्हें भपने सॉंदियं की शक्ति का घान होता है ।
एक पालदार नाव पानी पर सेरठो हुई घी जा रही थो--पुक
विशाद, मदद, सूरे रह के पंपों वादी चिड़िया के समान । फ़िनरे से पट
बहुत दूर थी धीर समुद में मीवर भागे की 'ोर थदठी ली ला रदी थी,
जहाँ समुद्र धर झाकारा अनन्त की नौलिसा में घुज मिश्र लते हैं ।
गलुम छठ कइती क्यों नहीं 1” वासिली बोला 1!
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