अवतार | Avtran

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Avtran by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २७ ) जातिप्रे मिका :१-- भारतीय - भव - पूत - भावन -।वथूति पाई ।. भावमयी झपने. झभावन दरति है ध्झवलोकि झवलोकनीय - वह - वैभव को काल > अनुकल- झअनुकलता करति है हदरियौघ' भारत वी भुव - सिरमौर जानि भावना में विभु - सिरमौरता भरति है घारि घुर सुधरि समाज को सुधारति हैं धघीर घारि जाति को उधारि उघरति है । --प्र० १०१ .. देशपग्र मिक्रा डा गौरवित सतत रत त - गौरवों ते द्ोति गुरुजन - गुदता _ है. कदती कब्रूलती भुदित वनति झवनीतल मैं फैलि फैलि कीरति की कलित-लत] को देखि भ्रूलती हृरिय्ौव” प्रकृति-अलौड्किता अवलोकि घ्रम के हिडोरे पै है पुलकित भुलती भारत की भारती-विभूति ते प्रभावित हु भामिनी भली है भारतीयता न भरूलती | -प्० १०१०९ जन्मभूमिप्र मिका ।-- चकित बनति हरि. उच्चता हिमाचल की चाहि “ कनकाचल .की. चारुता-चरमता मुदित करति निधि मानता है नोरघि की भर मानस-मनोहरता .सुरपुर की. समतां




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