बचपन - विकास का संक्षिप्त मनोविज्ञान | Bachpan-vikas Ka Sanshipt Mnovighyan

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Bachpan-vikas Ka Sanshipt Mnovighyan by अर्जुन चौबे काश्यप - Arjun Chaube Kashyap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बचपन-विकास संक्षिप्त मनोविज्ञान पहला अध्याय . वचपन-काल तथा मनोविज्ञान विषय-विस्तार वाल- स्वभाव और विभिन्न पद्धतियाँ .9. १] बचपन-काल विकास-काल दे । व्यक्ति-जीवन का यद्द काल सब कालों से महत्वपूण दे । यह ऐसी क्यारी है जहाँ मानव- संसार के विवध रगों के बेल-बूटे लता-गुल्म इच्त-पौछे सुधमा-गंघ- युक्त पुष्प श्रादि के सदश व्यक्ति अ्रक्करित होते हैं जो कालान्तर में मानव-समाज मे विविध प्रकार के व्यक्तित्व-स्वरूपो में प्रकट होते हैं श्रतः इस काल का मनोवेज्ञानिक अध्ययन मनोविज्ञान के क्षेत्र में अपनी प्रथक्‌ महत्ता रखता है । ब्रचपन व्यक्ति के व्यक्तित्व-विकास का आधार है ।. मनोवेज्ञानिक श्रध्ययनों से स्पष्ट हो गया दै कि व्यक्ति को पूर्णतया समभकने के लिए बाल-जीवन पर मनोवेज्ञासिक दृष्टिपात करना श्रनिवायं है । इस पुस्तक का ध्येय है बचपन के विकास का मनोवैज्ञानिक श्ध्ययन । बीसवीं शताब्दी में बचपन पर शधिक मनो- वेज्ञानिक प्रकाश पड़ा है श्रतः बीसवीं शताब्दी को कभी-कभी बाल- युग (116 2४6 0 06 ८9॥ते) कहा जाता है । इस उक्ति का तात्पर्य उस भावना से है जो दर्में बच्चों के प्रकृति-जीवन की श्रोर ले जाती दे । श्राधुनिक काल में मनोवेज्ञानिकों ने बाल-विकास र




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