सामान्य शल्य चिकित्सा | Samanya Shalay Chikitsa
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32.52 MB
कुल पष्ठ :
618
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. शिवदयाल गुप्त - Dr. Shivdayal Gupta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तृतीय अध्याय जीवार विज्ञान आधुनिक चिकित्सा विज्ञान या शल्य विज्ञान की उन्नति का बहुत कुछ श्रेय जीवारुु विज्ञान के सिंद्धात की मान्यता को है। असख्य परीक्षणों आदि के पश्चात् अब इसमें कोई सन्देह नहीं रह जाता हैं कि बहुत से साधारण रोग जैसे मलेरिया न्यूमोनिया टायफायड आदि तथा बहुत से शल्य रोग भी जेसे पूयोत्यपादन कोथ आदि जीवाएफुओं द्वारा उत्पन्न होते है । इन जीवारुुओ के ज्ञान से पूव॑ छोटे से छोटा शल्य कर्म भी बहुत भयकर समझा जाता था. क्योंकि रोगी का भविष्य अन्धकार में रहा करता था शल्य कम करते समय पूयोत्पादक जीवाएु क्षत में पहुँच कर कभी भी रोगी के जीवन को संकट में डाल सकते थे । इन पूथोत्पादक या अन्य रोगोत्पादक मिन्न-सिनन जीवाणुओं की उत्पत्ति वृद्धि आदि सम्बन्धी सम्पूर्ण नियमी का विस्तृत वर्णन ही जीवाणु विज्ञान है जो अलग से स्वतन्त्र एक ब्रिषय है । इस स्थल पर बहुत ही संक्षित रूप मे इस विज्ञान का वर्णन देखना है । जीवाणु -- चेतना जगत में जिस प्रकार पशु-पक्षी मनुष्य आदि दृश्य स्थल जीव है उसी प्रकार अदृश्य सृकष्स जीव भी है जो प्रायः एक कोशिक होते है तथा जिनकों सुकष्मदशक की सहायता - के बिना नहीं देखा जा सकता । इनका आकार लगसग १२५ ००० इज्चच से अधिक नहीं होता है । शरीर केन्द्र रहित एक कोशिका का बना होता है । कुछ जोवाणु तो इतने छोटे होते हैं कि उनको अभी तक उपलब्ध सृक्ष्मदशंक की सहायता से भी नही देखा 1. एल
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