नैवेध | Naivedh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Naivedh by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
3 ० लि पक -ध्यु व ४ 158. कक नेवेद्य चेतावनी ! बहुत गयी थोड़ी रही, नारायण अब चेत । काल चिरेया चुगि रही,निसिदिन आयू खेत ॥ काल्दि करे सो आज कर, आाज करे सो अब 1 पलमहद परले दोयगी, फेर करेगा कब ॥ रामनामकी लूट है, लूटि सके तो लूट 1 फिरि पाछे पछितायगा, प्रान जाहिंगे छूट ॥ बेरे भावें जो करो, भलों घुरो संसार! नारायण तू वेठकर, अपनों भवन घुद्दार ॥ कन्या न न चेतावनी ही




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now