पुनर्जन्म | Punarjanm

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Punarjanm by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दबाए पथराव व अववरप वर एललिक लए तििलपॉनडन्दरीपिटटलव्यकोलवराणपवरक वि न पलगवलनन, से मिल श्न्य कोई दस्त ने ठदरा सकोगे हो वही पूर्वोक्त झनात्मवादू का बखेढ़ा तुम पर फिर शावेगा जो नज्ञाताके बिना केदल श्ञानके भाननेसें पद लिखा गया यदि. कट्टी कि रभवोय के संयोग से श्रात्मशक्ति हो जाती फ़िर उसका गुण वा शक्ति ज्ञान होता तो शक्ति न्ना गुण किसी शक्तिमानू वा गुणी में से होते शरीर उसी में रहते हैं किन्तु किमी शक्ति वा गुण से शक्ति वा गुण न उत्पन्र होते शर न रह सकते हैं । इस की सिद्धि के लिये जगत में तुम को कोई भी दूष्टान्त नहीं सिलेगा । जैसे जलसे तरह उत्पल दोपे वा जल में ताद् रहते हैं यह व्यवहार होता दसे हो तरद्वोंसे तरह होते दा तरंगोंमें तरंग रहते यह नहीं होता श्रयांत्‌ तरगों का श्राधार सदा जेल ही रहेगा । करा दित्‌ कभी यह व्यवहार भी चन जाते कि तरंगों से तरंग होते जाते है तब भी शोच' में तरंगहप गुण का. उपादान 1 शाधार सदा जल दृव्य हो रहेगा श्र उस व्यय हारसे सजाती य श्रनेक तरंगों का होना सिटटू होगा सौर दिशातीय दर्त्वन्तर छोना कदापि सिदटू नहीं न




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