श्री शंकराचार्य और कुमारिल भट्ट | Shri Shankaracharya Aur Kumaril Bhatt
श्रेणी : जीवनी / Biography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.16 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपोद्धात । श्दः
मन्वन्तर की समाधि पर सत्ययुग की भायु के बरावर एक
सन्धि होती है और कल्प के शारम्भ में भी एक सन्धि होती
है । इस लिये छः मन्वन्तरों में सात सन्धियें आई । इन के
आयु की गणना इस प्रकार है कि सखत्ययुग का आयु १७२८०००
9 छ>१२०६६०५०० पक करोड़ बीस लाख छधानवें सहस्त चप
खन्चधियों के | सो १८४०३२०००० न- ह२०६६०००१८५२४१६०००
एक मर्द पचासी करोड़ चीवीस लाख सोलह सहस्त्र चर्पों के
चा मन्वन्तर छुए | सातवें मन्वन्तर की सत्ताईस चतुयुगियां
समाप्त हो च्ुको हें । एक चतुयुगी का भायु ४३२००००
५ र७ चतुरयुगियों का आयुः११६६४०००० ग्यारह करोड़
वास लाख चालीस सहस्त्र चर्पों के |
और फिर अठाईसवों चतुयुगी का सत्ययुग समाप्त हो
' चुका था अर्थात् १७५८००० चप । सो जगत् के उत्पन्न होने के
छः मन्वन्तर १८५२४९६०००+ २७ चतुयुगियां अथांत् ११६६-
छ3००२ न सत्ययुग१७२८०००-९६७०७८४०० ०पक अच स लानव
करोड़ सात लाख चौरासी सहस्त्र चर्पों के पीछे सूर्य सिद्धान्त
लिखा गया !
जब यहां तक गिनती रूपए होगई तो आगे आज की
१ मिति तक जगत् की उत्पत्ति की मिति
जय वोटर दुए (' निकालनी कोई कठिन नहीं क्योंकि
सता संतप हुआ है इसी अठाईसवीं चतुर्युगी कां अब
कलियुग जा रंहा है |
सूर्य सिद्धान्त की मिति १६७०७८४०००+ चेता का भायु
श९२६६०५० + द्ापर का आयु <८६४००० + विक्रम खंबत् १६५८:
तक के बीते ककठ्ियुग का समय ५००१-१६७२६४६००१ |
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