श्री शंकराचार्य और कुमारिल भट्ट | Shri Shankaracharya Aur Kumaril Bhatt

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Shri Shankaracharya Aur Kumaril Bhatt by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उपोद्धात । श्दः मन्वन्तर की समाधि पर सत्ययुग की भायु के बरावर एक सन्धि होती है और कल्प के शारम्भ में भी एक सन्धि होती है । इस लिये छः मन्वन्तरों में सात सन्धियें आई । इन के आयु की गणना इस प्रकार है कि सखत्ययुग का आयु १७२८००० 9 छ>१२०६६०५०० पक करोड़ बीस लाख छधानवें सहस्त चप खन्चधियों के | सो १८४०३२०००० न- ह२०६६०००१८५२४१६००० एक मर्द पचासी करोड़ चीवीस लाख सोलह सहस्त्र चर्पों के चा मन्वन्तर छुए | सातवें मन्वन्तर की सत्ताईस चतुयुगियां समाप्त हो च्ुको हें । एक चतुयुगी का भायु ४३२०००० ५ र७ चतुरयुगियों का आयुः११६६४०००० ग्यारह करोड़ वास लाख चालीस सहस्त्र चर्पों के | और फिर अठाईसवों चतुयुगी का सत्ययुग समाप्त हो ' चुका था अर्थात्‌ १७५८००० चप । सो जगत्‌ के उत्पन्न होने के छः मन्वन्तर १८५२४९६०००+ २७ चतुयुगियां अथांत्‌ ११६६- छ3००२ न सत्ययुग१७२८०००-९६७०७८४०० ०पक अच स लानव करोड़ सात लाख चौरासी सहस्त्र चर्पों के पीछे सूर्य सिद्धान्त लिखा गया ! जब यहां तक गिनती रूपए होगई तो आगे आज की १ मिति तक जगत्‌ की उत्पत्ति की मिति जय वोटर दुए (' निकालनी कोई कठिन नहीं क्योंकि सता संतप हुआ है इसी अठाईसवीं चतुर्युगी कां अब कलियुग जा रंहा है | सूर्य सिद्धान्त की मिति १६७०७८४०००+ चेता का भायु श९२६६०५० + द्ापर का आयु <८६४००० + विक्रम खंबत्‌ १६५८: तक के बीते ककठ्ियुग का समय ५००१-१६७२६४६००१ |




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