सहज-योगाभ्यास अर्थात गृहस्थकी योगशिक्षा | Sahaj-Yogabhyaas Or Grihastha Ki Yogashiksha
श्रेणी : योग / Yoga, संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.05 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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है यूराए इपनिपद्र, रफूति झादि सबझी री व्यवस्था है, कि-माया
मे के पार जानेंफे लिये येगसाधना करनी होगी ।
' एक श्रणीके साग फहते हैं, कि-पढ़ हा हम जानते हैं । परन्तु £
के एससाय संग्रारफा उाइफर खी पुरुप दूढ़ें पाता पिता छोदि परि- !
| घारको मागपें बैटाल चनमें लाफर येागी सन जाना धर्म है ।'
चनमें जाना अघपे नहीं है, परन्तु हटसे येही घर द्वारके छोड़ |
है लाना इरवश्य ही यम है ! तुप हुप बनमें न जाकर सी पुत्र |
| गाता पिनां झादिके लिए ही बैठे रे तो कया कर सकते हैं ? |
8 मृत्पुकें जरा जरा 'पंपुत्नी दिनाते ही सदाके लिये चलेनाने हैं।
| खी घूम थादि भी हपका छोड़रुर चले जा सकते हैं । यहाँ कौन
ही किप्तरा है? इरएक शर्वदास पर, हुदपक्ी इरएफ घढकन एप,
अपनी दरएफ इचतमें हंप थिवारते, हैं, कि हम स्टाघोन हैं, परन्तु (
) खिल हक का कि का हु काट, था डक बा
प्रक्नतिफे मोल लिये हुए दाप हैं-इम शरीर, मन, सफज चिन्तायें 2
भर सफज्ञ भावेमिं मकतिके क्रीचदास हैं, ते। भी इप संसारके |
कर्ता धरा वनकर, सर के त्यागफर संतारका छोड़नेमें धर्म |
4 समसभतें दें, यद्दी तो पाया ऐ ! मायाफी फॉँसीफा कॉटना कया |
8 सदन हैं । की
सा फिर उपाय कया हैं? संतारका छोड नहीं सकते तो फिर |
काम केवे होगा १ संप्रारका ते। छोड ही नदीं सकते । स्त्री
है पुत्र 'ादिके दीचऐं रद फर कचेव्यसा पाठहान करनेसे ही काम |
। चनेगा । इस शुभ संपेगक लिये इपारे शुसतन श्षि साघन- 2
४ त्वके स्पर्गीय द्वारका खोजगये हैं । चनफी झूपोसे अभी .तकफ
| चह तरर-दद सार-रत्न हिन्दुओं के घरों में-दिन्दुओं के हृदयों में- |
| दिन्दुझोंदे साथ तासाफन्पमें विद्यमान हैं। इम इस पुस्तकर्मे, यद- है
| स्वोंके लिये बन दी सच उपायोंका चतानेका यटन करेंगे ।
अन कष्या झा उननएा से उस उन रे क खाज रा ऊउ पद रा उन उन्य फसल ऊत्स कष्यहर,
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