समीकरण - मीमांसा | Samikaran-mimansa

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Samikaran-mimansa by शंकर द्विवेदी - Shankar Dwiwedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कह (मद । जिनरें मुख्यतः समीकरण में अन्यक्त के घन्शमान और 'असल्भद मान की सीमांसा घर चिन्ह राति है ८ बॉ प्रदस चेंही ) डेकाट ने दो वगेसमीकरण के रुसनफलहप थे ५क चतु- बाद समीकरण का ले झाने की युक्ति के भी दिखलाया हैं । -यरपि यह युक्ति फेरारी के प्रकार से भी निकल अती है तथापि व्यवहार में उपयोगी है (१९४ वाँ प्रक्रम देखो) । सच १७७० ईं० में झायलर ( छणाटा ने एक वीजगशित न्लना कर प्रकाश किया । उसमें चतुवोत ससीऊूप्ण तोइने के लिये चत्तम प्रकार दिखलाया गया है और साथ ही साथ सिद्ध डिया गया है कि चतुधोत समीकरण वा तोड़ना ए6 घर -ससीकरण के झाघीन है झथात्‌ यदि उस घनस मी र्रण के ऊद्यत्ता - मान विदित हो जाय तो चतुर्ीत समीकरण के अत््यक्तमान था जिदित हो सकते है (१९९ वाँ प्रकम देखा) । डे४ ट और पल डे अकारों के देख कर बहुतों की इच्छा हुई कि चतुवात से ऊ०९ के यादवाजि समोकरण के तोड़ने का प्रकास निशन । इसके लिए 'अ्रझरइची शताद्दि तक प्रयत्न किया गया पर सत्र निप्फ व हुमा पश्चाद वार्डरमाणडे (#2ए06700006) ओर लाटोउड , 1.3 - (साइट ने भी क्रम से सन्‌ १७७० और १उ७१ इ० मे इस विद « पट श्त्यन्त उपयेगी बातों को अपने अपने लेखों ये प्रब्यश 7 हू पन्त में भावेल (&96)चर दान्टसेल ( १९१८! । थे सिद्ध फिए कि चतुघात से अधिक घातदाले सर्यीकरणा के ठो:ने का सावारण बिंधि बीजगणित की युक्ति से झसम्यव है। (८ 9 - धणए अड 0 0856 05 क2010815 8016. 3-1. प (०ण४ [प&1४ढ४ेघ6, 3पफृडएंडपाह 21६ 316 देंडों 1 ,तत्पश्चातू यूरप के झनेक विद्वान अनेक नये नये सिरल्टों के! उत्पन्न किए और छाज तक करते ही जाते है जिलड़े परम




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