श्रीशुकदेवजी का जीवनचरित्र | Shree Sukhadevji Ka Jeevancharitra
श्रेणी : जीवनी / Biography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.53 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शुकदेवज्ञीका जीवनचरिंत्र। छु
विचा्यमनसात्यथ .कृत्वामनसिनिश्चयम ॥
जगामचतपस्तलतुं मेरु पर्वतसब्निधो ॥ २९२ ॥
पेसा सनस एवचार करके 1नद्चय (कया व तप करने का
सुमर पवतपर चलगय ॥ २ २'॥ “दी ड
मनतसाचिन्तयामास किंदेवंसमपास्मह्दे |
वरप्रदाननिपुणवाहिछताथ प्रदुतंथा ॥:२३,॥
सों अपने मंनें में क्यां विचार कंरेने लेंगे कि. में किस देवता
का ध्यान करूं जो. जल्दी से वरेंदांनें देकर सेनोवाड्छित परी
करे ॥ २३ 0 पे गा
वेष्णुरुद्वंसरेंन्ट्रंवाब्रह्ा गवांदिवाकरस ॥
गणेशंकारत्तिकेयड्च पावकंबरुंसंतथा ॥ र४ ॥
अंचं विष्णु; रुदर, सुरेन्द्र,ंझा, सुये, गणेशा,का्तिकेंय, अस्नि
और वरुण इनसबों में में किसकी, उपासना. करूं. ९४-1
एवंचिन्तयतेस्तस्थ .नारदोम॒निसंत्त॑मं ॥
-यरंच्छयासंमायातो वीणा पाणिःसमाहितः॥ २५४. ॥
उनके मन में ऐसा विचार करने पर मुनिश्रेष्ठ नारदजी हाथ:
मैं वीणा लिये अपनी इच्छा से ही वहांपर प्रा्हुये ॥ २४॥
तंहष्ट्रापरमप्री तो व्यांसःसत्यवतीसुत्तः:॥
कृत्वा5प्येमासनंद्च्चां प्रपंच्छकुदाठंमुनिम्॥ २६ ॥
सत्यवतीकें पत्र व्यासजी नारदजी को देखिं अंतिंपरम प्रसन्न
भये अध्यपाद्य दे आसन देकर सुनिं से. कुश पछतें भंये॥ २६॥
:. श्रत्वाइधकशनप्रश्न प्रपच्छमनिसत्तमः ॥
चिन्तातरो5सिंकस्माले -दंपायनवद्स्वमे २७ ॥
कुददल सुनकर प्रश्न नौरंदेमुंति एुजने लगे कि हैं ब्यासंजी !
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