संपूर्ण गाँधी वांड्मय भाग 66 | Sampurna Gandhi Vaangmay Vol - 66

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पाठकोंको सुचना हिंन्दीकी जो सामग्री हमें गांधीजी के स्वाक्षरोमें मिली है, उसे अविकल रूपमें दिया गया है। किन्तु दूसरों द्वारा सम्पादित उनके माषण अथवा लेख आदिमें हिज्जो की स्पष्ट भूलोको सुधारकर दिया गया है। अंग्रेजी और गुजरातीसे अनुवाद करने में अनुवादकों मूलके समीप रखने का पूरा प्रयत्न किया गया है, किन्तु साथ ही माषाकों सुपाठ्य बनाने का मी पुरा ध्यान रखा गया है। छापेकी स्पष्ट भूछे सुधारने के बाद अनुवाद किया गया है। और मूलमें प्रयुक्त शब्दोंके संक्षिप्त रूप ययासम्भव पुरे करके दिये गये हं। नामोंको सामान्य उच्चारणके अनुसार ही लिखने की नीतिका पालन किया गया है। जिन नामोंके उच्चारणमें संधय था उनको वेसा ही लिखा गया है जैसा गांधीजी ने अपने गुजराती लेखोमें लिखा है। मूल सामग्रीके बीच चौकोर कोष्ठको्में दी गई सामग्री सम्पादकीय है। गाधीजी ने किसी लेख, माषण मादिका जो अंश मूल रूपमें उद्धृत किया है, वह हाशिया छोड़कर गहरी स्पाष्टीमें छापा गया है, लेकिन यदि कोई ऐसा अंद उन्होंने अनूदित करके दिया है तो उसका हिन्दी अनुवाद हाशिया छोड़कर साधारण टाइपमें छापा गया हैं। माषणकी परोक्ष रिपोट तथा वे दाव्द जो गांधीजी के कहे हुए नहीं है, बिना हाशिया छोड़े गहरी स्पाहीमें छापे गये है। भाषण और भेंटकी रिपोटंके उन बंदोमें, जो गाघीजी के नही हैं, कुछ परिवतेंन किया गया है और कहदींकहीं कुछ छोड़ दिया गया है। शी्षेककी लेखन-तिथि जहाँ उपलब्ध है, वहाँ दायें कोनेमें ऊपर दे दी गई है। परन्तु जहाँ वह उपलब्ध नहीं है वहाँ उसकी प्रति अनुमानसे चौकोर कोष्ठकोंमें की गई है, और आवदयक होनेपर उसका कारण स्पष्ट कर दिया गया है। जिन पत्नोमें केवल मास या वर्षका उल्लेख है, उन्हें आवश्यकतानुसार मास या वर्षेके अन्तमें रखा गया है। शीर्षकके अन्तमें साधन-सूत्रके साथ दी गई तिथि प्रकाशन की है। गांधीजी की सम्पादकीय टिप्पणियाँ और लेख, जहाँ उनकी लेखनस्तिथि उपलब्ध है अथवा जहाँ किसी दृढ़ आधारपर उसका अनुमान लगाया जा सका है, वहाँ लेखन-तिथिके मनुसार भौर जहाँ ऐसा सम्भव नहीं हुआ, वहाँ उनकी प्रकाशन-तिथिके अनुसार दिये गये है। पन्द्र्द




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