हिन्दी भगद्गीता | Hindi Bhagawadgeeta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.71 MB
कुल पष्ठ :
482
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गीताका परिचय । ड
कल भला चला कं पा रथ 0
यीताश्रयेडहंतिष्ठामि, . गीतामेचोत्तमंत्रहम ।
गतिज्ञानसुपाशरित्य, भीछोकान्पालयाम्यहस ॥
मैं गोताके भ्राथय परदो रहता हाँ, गोतादो मेरा परमोत्तम घर
है और में गोताके ज्ञानका आथय लेकरद्ी त्रिलोवोका भरगपोषण
करता हूँ ।
और भी कहा है--
विदानन्देनकृष्णेन ,पक्ता स्वमुखतोउजुनिमू ।
बेदश्रयपरानन्दा, .. तततरार्थज्ञानसंयुत्ता ॥
यह गोता खबं परब्रह्नृरूप चिदानन्द योक्ष्णने अपने मुखसे
अजजुनको सुनाई है; इससे यह वेदत्रयी-रुप, कर्मकाणडसय और
सदा भानन्द तथा तत्वज्ञान की देनेवालो है ।
न्िचारनेको बात है कि, जिस गौोताके वक्ता सय॑ पूर्णत्रह्म
योकष्ण हैं; ययोता भ्र्जुन-सरोखे मद्ाधुरन्थर तेजस्वी और जितेन्द्र
य पुरुष हैं श्ौर कर्त्ता छप्णुददेपायन ब्शास जेसे महात्मा हैं, भला
उसके भवधो, त्रयतापनाशिनो और तत्त्ताथज्ञानदायिनी चोनेमें क्या
संशय है ?
इसमें तो कोई सन्द हह्ो नहीं है, कि गोतासे बढ़कर ज्ञानका
कोई दूसरा ग्रत्थ नहीं है । इसको समभकर पढ़नेंसे मनुष्य ज्ञान
सिद्दि प्राप्त करता है, और भअन्तमें जन्म-मरणसे छुटकारा पाकर
ब्नह्मरूप हो जाता है। जो मनुथ-देह् पाकर इस गोतारूपी
अस्तको नहीं पोता, वह अस्त छोड़कर विष पौता है; अत-
एव जिन्हें जन्म-मरणके कट्टसे छुटकारा पाना हो, जिन्हें संसार-
सागरसे तरना हो, वे सौताकों समक कर पढ़ें-पढ़ावें, सुमे' और
सुनावें । क
गोताका विषय कठिन है । इसमें ज्ञानकौ बातें हैं । ज्ञानकी बातें
बिना ससभी, बिना बुद्धि लड़ाये, माथे में नहीं घुसतीं । जो. बात
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