हिन्दी भगद्गीता | Hindi Bhagawadgeeta

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Hindi Bhagawadgeeta  by बाबू हरिदास वैध - Babu Haridas Vaidhya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गीताका परिचय । ड कल भला चला कं पा रथ 0 यीताश्रयेडहंतिष्ठामि, . गीतामेचोत्तमंत्रहम । गतिज्ञानसुपाशरित्य, भीछोकान्पालयाम्यहस ॥ मैं गोताके भ्राथय परदो रहता हाँ, गोतादो मेरा परमोत्तम घर है और में गोताके ज्ञानका आथय लेकरद्ी त्रिलोवोका भरगपोषण करता हूँ । और भी कहा है-- विदानन्देनकृष्णेन ,पक्ता स्वमुखतोउजुनिमू । बेदश्रयपरानन्दा, .. तततरार्थज्ञानसंयुत्ता ॥ यह गोता खबं परब्रह्नृरूप चिदानन्द योक्ष्णने अपने मुखसे अजजुनको सुनाई है; इससे यह वेदत्रयी-रुप, कर्मकाणडसय और सदा भानन्द तथा तत्वज्ञान की देनेवालो है । न्िचारनेको बात है कि, जिस गौोताके वक्ता सय॑ पूर्णत्रह्म योकष्ण हैं; ययोता भ्र्जुन-सरोखे मद्ाधुरन्थर तेजस्वी और जितेन्द्र य पुरुष हैं श्ौर कर्त्ता छप्णुददेपायन ब्शास जेसे महात्मा हैं, भला उसके भवधो, त्रयतापनाशिनो और तत्त्ताथज्ञानदायिनी चोनेमें क्या संशय है ? इसमें तो कोई सन्द हह्ो नहीं है, कि गोतासे बढ़कर ज्ञानका कोई दूसरा ग्रत्थ नहीं है । इसको समभकर पढ़नेंसे मनुष्य ज्ञान सिद्दि प्राप्त करता है, और भअन्तमें जन्म-मरणसे छुटकारा पाकर ब्नह्मरूप हो जाता है। जो मनुथ-देह् पाकर इस गोतारूपी अस्तको नहीं पोता, वह अस्त छोड़कर विष पौता है; अत- एव जिन्हें जन्म-मरणके कट्टसे छुटकारा पाना हो, जिन्हें संसार- सागरसे तरना हो, वे सौताकों समक कर पढ़ें-पढ़ावें, सुमे' और सुनावें । क गोताका विषय कठिन है । इसमें ज्ञानकौ बातें हैं । ज्ञानकी बातें बिना ससभी, बिना बुद्धि लड़ाये, माथे में नहीं घुसतीं । जो. बात




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