ऋषि दयानन्द | Rishi Dayanand

Book Image : ऋषि दयानन्द  - Rishi Dayanand

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नंदकुमार देव - Nandkumar Dev

Add Infomation AboutNandkumar Dev

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
शिव-त्रयोद्शी का वत झर बेराग्य श्9 िन्कीननवि कि ईनओननइिगाकणनेद-नस-नस-» कस... पक्तिपूर्वक . ज्रत करते थे । कभी २ झम्वाशंकर पने पुत्र मूलशंकर से मिट्टी के शिवलिज्ञ भी पुजवाया करते थे । थथ, शिव च्रयादशी का घ्रत और बैराउ्य जब शमस्वाशंकर जी वालक सूलशड्र के मस्तिष्क सें ज़वर- दस्ती शैवमत के विचार दूंसवा चाहते थे, तब तो एक ऐशो “घटना दोगई जिसने न केवल मूलशडर के जीदत के दो पलटा बल्कि उस घदना ने शारतवर्ष के सेतिक और सामाजिक चिचासें को भी उलट पुलट कर दिया । सच पूछिये तो संवतू श्प्श४ है साघ छृप्णा चयादूशी का दिन भारतवर्ष के इतिहास में सदैव सुपरणीय रहेगा । उस दिन झम्वाशड्डर ने झापने पुत्र सूलशझर का शिवत्रयाद्शी का घत रखने शर शिवजी की उपासना के लिये राजि भर जागने का परामश . दिया, यद्यपि मूलशडर की माता ने झपने पति से सना भी किया पर झश्वा- श्र राजी, न हुये, सूलशडडर की श्वस्था १४ बष दी थी 1 मूलशंकर ने शिवजी का दत रदखा और रात्रि को जय सब लोग यहां तक कि सूलशं कर के पिता झास्व्राशं कर तक निद्ठा देवी के दशीभूत होकर सो गये थे, तव बविचारे सूलशंकर इस भर से कि कहीं घ्रत का खणएडन न दोजाप जागते रहे । द्ाघी रात्रि के समय देखा कि एफ चूदा शिवलिज्न पर पहुंच कर पूजा के चढ़ये हुये पदार्थ खा रहा है। चल इससे ही उनके हृदय सागर में श्रद्धुत विचार की लहरें उठने लगों । बल उसी समय उन्होंने पिता को जगादया और उनसे शंका * झात्य प्रदेशों में फारगुण कृन्णा १३ को शिवरा्ि का ब्रहत दोत। हें यरन्तु काठियावाड़ में माघ कृष्णा १३ को होता है । द्‌




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now