विपूवकोष | vipuvkosh

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vipuvkosh  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निपटाबा--निंगनी निपटावा ( हि पुर ) विज्वटावा दे थोर। निपटेरा ( हि पु० ) निदट्रेरा. दे खो ! लिपठ ( स* पु० ) निपठनसिति नितपठ अप, ( नो गदरद' पढ़ना । ..पा २1२६४ 2 पाठ, “अध्ययन । निपहित (.स'9 त्रिर ), निन्पद-क्त 1- जो. पढ़ा गया छो | निपठितिनू ( स'* ब्ि०) निःपठितसनेन: इ्टादिलात्‌ कत्तरि इनि। कतपाठ; जो .पढ़ा गया दो. । निपतन ( स'० क्ली+ ) नि-पत-ब्युट । निपात,.. अघ-पतन, : शिव । *. . की निपतित [ स ०. लिन ) निः्यत का।. पतित, गिरा हुआ! निपत्यरोहिगी ( स'० स्त्री? ) निपत्य, रोदिगो रोहितेवर्णं , स्री मय रव' । . निपत्यरोदितवर्णा स्त्रो) . . निपत्या-( स.० स्त्रो० ) निपतत्यस्थामिति, नि-पत-क्यप ततष्टाप.1. ( संशावां चमजनिवदनिपतेति । पा दे श2- ) १ युदस्रूमि । २ पिच्छिलांसूमि, गोलो चिकनो जोन ऐसी भूमि जिस पर पर फ़िसले । निपरन ( स'« क्ली० ) निषिई' परण' प्रीति; नि'ए-प्रौती मावे क्‍्युट 1. प्रीत्यमाव, प्रीतिका अभाव | निप्रलाग( स'० ल्लि० ) निपतित' पलाश' यस्य । निप्रतित पत्र । निपाक (स० पुर ) नियम न पचनमिति' निन्फन्नघज_। पाक । कि निपात (.स० पुर.) निनपत-भावे घज,.।. १ पतन, पात: सिराव। ९ सत्यु, चय, नाश । ३ अधप्रतन। ४ विनाय। ४ शाब्दिकों के सतसे वह शब्द जिस के बननेके _ मियमका पता न .चले..अर्थात्‌ जो व्याकरण. दिए नियमोंकि भतुसार न बना हो । कक निपातन ( स'० को ). निपात्यतिधनिवेति -निःपतर्णिच, .करप़े ब्युट,। .१.मारण, बंध. करनेका. कॉम । २९ गिरानेका, काम । . ३ अधोनघन्‌ । , पर्याय>>पवनयि, निपातन । ४ व्याकरणके लचण हारा अनुतपत्रपद साधन, ध्याकरणक नियम प्रतिकूल: व्याकरणक 1 .पदसिंद करने- .१५ निपातप्रयुक्तपदसिद .करनेंमें किसी किसो वर्ण का ग्रागम और कहीं वर्ग विज्ञार अध्रवा व साश करना डोता है। निपातना ( हि क्रिस १ -मिराना; नोचे , गिरना । २ नष्ट करना, काट कर गिरना । . ३ .बघ करना, सार गिराना, मारना । * निपातनीय ( स'०-ल्रि० ) नि-पत-थिच अनोयर.। निया” तनके उपयुक्त, बंध करने योग्य । ' - ” निफातित (-स'० ज्रि० ) 'नि-ःपत-रणिचन्क । अधोनोत, जो नौचे किक दिया गया हो।. ' ” निपातिन्‌ ( स'० पु०) निपात: अंत्योस्ति इनि । १ महा* डेच। ये सभी को निपात रघातूं नांथ करते हैं, इस कारण इनका यइ नाम पड़ा है। ( ब्रि० ) ३ गिरामेवाला, फि कमनेवाला, चलानेवाला'। ३ घातक, मारनेवीलां । निपातो (हि'० बि०) विपांतिनू देखी | निपाद ( स०-पु० ) निन्नष्टो न्यगूती पादोयत्र । निसत- प्रदेश । दर नियान ( स० ल्लौ० ) निपौयतेडस्मिच्चिति। निपा- आधारे लय ट. । १ कुए'के पास दोवार घिर कर बनाया सुना छुंर्ड थां खोदा डा गड़ा। इसमें पशुफ्ची आदिके पोनेके लिए पानो इकट्टा रहता हैं। २ गो दोइन पात्र, दूबं दुद्दमेका बरतन । ३ तोलाव, गड्डा, खुत्ता | परकीय निपानेषु न खयाव्च कदाचव | '. निपानकत्तु स्नात्वा च दुष्क्तांध न लिप्यते ॥”* अं (मनु हा०१) “निपिरवन्त्यस्मिश्नतों बेति निपान' लठाशय गा _. ( मेघातिथि ) यहां पर निपान शब्दका ' घर “जलाशर्थ,मांत्र है। दूसरेके निपानमे कदापि स्नान. नहीं करना. चादिये; करनेसे निपानकर्ताका चौधाई पाप निजमें चला भ्राता है। निपपा भावती। ४ निःिीष पान ! के लिये सूतोत जो सब नियम-डैं, उनका :'भविक्षम. कर | निपानो--वस्वई प्रदेशके वे लगाम जिलेका. एक नगर | + पदसादन 1 न ्‌ चर अचा० ९६ २७,उ० और देवा २. छह २३ पू० वे लू जो सब पद व्याकरणके लचगा.दास .साधित नहीं | गाम शररसे ४० मोल उत्तरमें श्रवस्थित है ।-.जनस ख्या ; होते वे सब पद -निपातप्रयुक्त सिद हुए हैं । | माय १९६३९ है। यह श्र १८३८ . ई०में अर गरेजों ने




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