वीपूवकोष खण्ड तेइस | vipoovkos khand teies

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
vipoovkos khand teies   by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
शोदाव दे एके खुन्दर प्र्वण तथा माचीन चैद प्रतिमा है। पटना एक खुविस्पात स्थान है, प्राचीन दिन्दू राज्ञाओंने यहाँ राजञघानी बसाई थो, आज सी विहार-उड़ीसाकी राजा - घानी परना ही हैं। शुक्नलरत्ी पदिलर युददा शेरगढ़ते ७ समीर दूरमें अवह्यत है । आरा शहर १८६८ ई०में खिपादो-विद्रोदके समय खुचिड्पात हो उठा था। दानापुरसे दो हार सिंपादियें तथा नाना स्थानके और भी ८ हजार सशख्र अधि- बासियोंने कुमारखि हृकदी अधिनायकतामें जुलाई मासके शेष भागमें जाराको भोर याला की । इन सद विद्रोही सेनागी'ने २७ वो ज्ुलाईकों आरा पहुंच कर भारां जेछ- कैदियों को सुक्त कर दिया और धनागार लूटा । इसके पदले हो यूरोपीय महिला और वाठक चालिकाओ को स्थानारतरित किया गया था । ... हरे सरफारी और वेसकारी कर्मचारी तथा नाना सम्प्रदाय के ४8५ ईसाई इस स्थानमें रहते थे । परनाक्त कमिश्नर मिरेछरने यहाँ एरू दल सेना सेज्नी। इस सेनादलमें सिर्फ ५० सिब् थे । बे लोग माठ दिन तक बसोम सादससे इस स्थावको रक्षा करते रहे। पीछे मेडार- मिनसेरटने फिर इन्हे विद्रोदियो के कबलसे उद्धार किया | ठीक इसी समय उस स्थानके खुपरिनटेएड रद मिः सिकार चायेलकी देखरेखलें इटट-इरिडियन-रेठवेका निर्माण-कार्य शेष होने पर था । उन्दे' दुर्गादिके सम्वन्घ- से चहुत कुछ णभिन्ञता थी ! उन्दों ने फौरन उस स्थान के दे महलो को दूलछ कर लिया । वे अभी दोनों मदल डाजके मदद (एपतट्ट<'5 9०९5) नामसे पुकारे जाते हैं । उनं जा छोटा मददल है, वद्द दे महलका है गौर बड़े महऊसे २० गजकी दूरी पर अवस्थित है। उस मदढ को दुर्गको तरह वना कर रसद आदि रखी जाती थो। चिद्रोद्दो-दल आराको भीर अग्रसर हो रदा है। यह खुनतें ही इन छागोंनि उस छेटे दुर्गमें भाश्रय . छिया। : बिद्रोदियोंने नगर लूट कर वायेढ सादवक दुर्गको ओर कदम वढ़ाया । किन्तु उन लेगें की आक्रमण- कॉशलसे वे पीछे दद गये और वड़े मदलमें ' साधव छेलेहो बाध्य हुए। पोछे उन लेगेनि विभिन्न उपायसे इस छेटे डुर्गका विध्वस्त' करनेकी चेष्टा को । किन्तु [न ड्ण उन लागेकि पास व दूक आदि कुछ भी नं थे । छुमार- लिहने आखिर जमानमें. गड़ी हुई दे कमान निकाली और अपने घर्की सामग्री आदि द्वारा गेठन्दाजां के ब्यवहारार्थ कुछ द्रव्य प्रस्तुत. कर. छिपे अगरेजेमिंसे कोई भो मघीनता खोकोर ऊरने पर प्रस्तुन तथा, मजिष्द्रर मि० दारवादड वेरूते सि खसेना ओकी परि चाछना का थी । उन सिंलसेना ऑनि विद्रोंददी हारा घ्रछुब्घ हों कर भी प्रयुभक्तिका जैसा परिचय दिया था, चदद प्रशं साहं ई। इस समय दानापुरसे १५० अं गरेजो सेना उनकी रक्षा, में मेज्नी ये । उनके शाहद्यावादमें पहुंचते दी विद्रोदियीं- ने उन पर चढ़ाई कर दो। कई दिन बीत गये, पर उनको सद्दायताक लिये कोई भी अप्रसर न हुआ । दुर्गमें रखद भी घट गई। दुर्गझ भीतर हो झूप खे।दा कर बड़ कष्टसे जल निकाला गया । दो पहर रावकों किसी तरद दो बक्करे पकड़ गये और उन्होंक मांसस दुर्गस्थ लेागेंनि प्राण रक्षा को 1 री मगस्तको मेज्ञर सिनसेणट जायर १५० परातिक कुछ घुड़सबार सेना, ३ कमान जौर ३४ गोलन्दाज ले कर इन लोगोंकी सद्दायतामें अग्रसर हुए। सूर्यास्तक पदले हो विपक्ष सेना चहांसे भाग जानेकों बाध्य हुई । दूसरे दिन सवेरे मेजर सिनसेरटने कुमारसखि हृक्ती सेना- को फिरसे लौट जानेक लिये वाध्य , दिया । इस जिलेमें ६ शददर गौर प५१५ श्राम लगते हैं। अनसंख्या २० छालक करोव है । अधिवासियोंमें न्नाह्मण, राजपूत और अद्दीरकी संख्या ही ज्यादा है । शाद्ावादक शब्यादिमें घान हो प्रधान है। गेट, जौ, जुनददरो, मटर, उड़द, तिल, रेड़ो, सरसों, कपास, प्याज, पाठ, इक, पाच, तमाकू, नोल सौर अफीम आदि यहां यथेप्ट उत्पन्न होती है । अतित्रुष्टि अनावृष्टि झादि- के कारण यहां शश्यादिकी मददती क्षति होती हैं। शाहा- वाद जिल में-दोट वाज्ञार और मेल आदिमें चाणिज्य व्यवसाय दिखाई दत ' है। रघुनाथपुर रेठवे स्टेशनक निरूटवत्ती -वदरमपुर, वकरूर, जस्यानी, धूसरियार, पमा- निया, गादाहिं, कस्तार; दानवार, घामर, मसाड़ सर युप्सर नामक स्थानमें प्रति चरण सेला लगता है। शाह चादूसे चाचल, जौं, उड़द, तीसी, रफ्तनो होती है। .




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now