तर्कइस्लाम अर्थात व्याख्यान | Tarkislam Arthat Vyakhyan
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.45 MB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(है )
'.ढकोसला बीच में लाकर परमात्मा'को इस दोप से ' चचाना
चाहते हैं । परन्तु इससे उनका कुछ प्रयोजन सिख नहीं
होता, जबंतक फुरान उपस्थित है कुरानी परमात्मा इन दोषों
:के बूच-नीं सकता 1: व
सी०: ५४ सू० नसाय आर उप
(६) कुरान की यह शिक्षा है कि जो फुछ होता है पर-
सात्मा की श्लाज्ञा से होता दे । तो फिर व्यमिचारी _मजुष्यों
का व्यमिचार, मदिरापान.: डांका, चोरी, पाणघातं,..' हत्या,
लूटमार, - इत्यादि सर्च कार्य परमात्मा 'की छाशा सें-ही डुए
शेतान बिचारे को क्यो कर्लड्डिंत' किया 'जोता है । शोक, !
अन्ञानी पुरुषों ने परमात्मा को क्या तमाशा थनां दिया ।
ः ५'११ सू० यूनुस ५ ४६
४४
( १० 2 कुरान की यद्द शिक्षा है कि परमात्मा मजुप्यों
के .उपदेश के लिये नवी भेजता है । परन्तु कुरान में स्थान २
पर देखोगे कि परमात्मा ही जान वूस कर मनुष्यों को कुमार
में लेजा रहा है । छोर चहद स्वर्य ही इस 'बात का पच्तपाती
माना गया हे; “दा हम शुमराह करते हूँ श्र जिसको, हम
शुमराद करते हें उसको /कोई राह नहीं दिखा सकता” भला
फिर पेराम्चरों के परिश्रम करने की क्या श्रावश्यकता श्रौर
पुस्तकों के भरमार का क्या 'प्रयोजन' ? छौर शेताना को
दोपी ठह्राने की क्यों पावश्यक्ता पड़ी ।
सी० ६ सू० मायदा शान ५
रे
( ११) कुरान की यद्द शिक्षा हे कि परमात्मा 'पचित्रता
को पसन्द-करता है । परन्तु कुरान को पढ़ेंनेखे पता लगता है
' कि * खुदा ने नापाक दिल को पाक न करना चाहा ' बल्कि
नापाकी को श्रौर भी झधिक कर दिया झौर: युमराही (सव-
मार्ग विमुखता ! बढ़ादी” बच्चों कासा खेल है! एक ' तुच्छ
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