यवनमतपरीक्षा अर्थात हुज्जतुलइस्लाम | Yavanamata Pariksha Hujjatulislam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९ ९४ ) यथाखरखन्दन मारवाही भारस्प वेत्तानतु च न्दनस्य । एवं दि शास्त्राणि वहून्पधीत्प चारथषु स्ूढा खरव्य इन्लि ( घझनुवाद ) जसे गधे पर चन्दन के लादने ले चंद बोभ को जानता हे न. कि चन्दन फो, ऐसे दी बहुतसे शास्त्रों को पढ़ कर जो उनके ध्रथेकषो नदीं जानता और उपर श्रोचरण नददीं करता बद्द गधे के समान लिफ भारवादी दे-ऐसे दी ऋषियों के चाफ्य सुन्ध खुनाकर: कुरान ने भी लिखा है ! जिसका तरज्ुमा तफलीर हुसेनीचाला पद्यों में इस प्रकार: स्रता र, खुदा ने यदमत इलफार से फदा । जो इल्म जीधा रास्ता लीं बतलाता चद्द चोभ है । इटमको लिफे दिलमें रखने घाले उलका चोगा उठाने घालेहैं 1 घोर उसपर शाचरण करने चले उसका लाथ इत्यादि-एसीक्े झवुसार सादी शीराओी ने थी कहादै । जैसे पशु के ऊपर पुस्तक लाद देनेखे घद्द पणिडत' सौर ज्ञानी सदीं बनसखफता-ऐसेदी विद्यापढ़ लेने माघसे बिना उसका उपयोग किये कोई लाभ नददीं उठासकता । जिसप्रकार छुरान से शब्द कूलिस फो झाजाने से कृूसिस ईदेन्द या किस झस्विया और शब्द ददील श्ाजाने ले खुदाद सत्ते शा निस्धय करलेना मू्खता दे-इसी प्रकार वेद में पुराण शब्द शा जाने से साधवत झादि का अत्यय दोगासी शान्ति हैं । जबतक किसी ग्रन्थ विशेष का नाम न दो या १८ की संख्या _ उनके साध न दो तबतक १८ पुराणों का फोई जस्वल्घ पुराण शब्द से नदीं है । यदि चेदौमें इन पुराण का साम दोना-जिस् अकार कुरान में तोरेत, जवूर, इजील आदि का तोदम उलको विर्षिचाद सावसेते-फवोकि दम आापलोगा की तरद ईश्वर में मल वा शक्षानता नहीं मानते । जो उलके शादेश को खसिडत मानलें । परमेश्वर करे कि शाप इसी प्कवातसे खच भछू'ठका निणंय कर खक॑ ४ दिन पूं० & थ ८०) और बशिष्टमुनि जो राज्ञारामचन्द्र के गुरु और हिन्दुम के घड़े झाचाय्यं डुपए हैं और दिन्डु भी के




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