श्रीतुलसीदल | Shritulsidal
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.3 MB
कुल पष्ठ :
62
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीतुलसीदल श्डे
पाया ज्ञाता है। कार्तिक मास में खियाँ जव तुलसी का पूजन
नियमाजुकूल करती हैं; तब अनेक कामनाओं की पूर्ति सहज में
प्राप्त करती हैं । अत्येक दिन्दू के घर मे तुलसी का चोरा; घर के
प्रधान स्थान में रक्खवा जाता हैं । प्रत्येक मंगल-कार्य, पूजन और
धार्मिक काम के 'झवसर पर इस पवित्र-पत्र का होना अनिवाये
है । चुलसी की जड़; पत्र और बीज आओपध का काम देते हैं ।
ब्मौर इसके प्रयोग से अनेक राग दूर होते हैं । तुलसी के पत्रों में
एक तरह का पीत-दरित तैल का सा पदार्थ पाया जाता है; जो कुछ
समय तक रक्खा जाय तो दानेदार स्वरूप धारण करता हैं और
उसे 'बासी कपूर” के नाम से सम्वोधन करते हैं ।
तुलसी की जड़ व्वर को नाश करती है । वीज शीतकर और
स्निग्थ होता है । सूखा पत्र इसका अग्निववक और 'लंगूस'
( 1.प्०४5 ) से श्लेष्मा को छॉट कर वाहर गिरा देने वाला हू ।
चुलसी पत्र कफ को छॉटने चाला आऔओर सर्दी जुक़ाम को यथा-
विधि शान्त करने की शक्ति रखता हू । तुलसी श्रत्येक हिन्दू घर
की शोभा हैं, जीवन की रक्षा है । चिना छुलसी के घर अपवित्र
सममा जाता हू । डाक्टरी अनुसन्धान सिद्ध करता है कि तुलसी
पत्रों में मलेरिया और मच्छरों को दूर कर देने के गुण मौजूद
हैं । अनुभव सिद्ध वात हैं; तुलसी-पत्र के रस से शरीर अलेपित
किया जाय तो मच्छर उसके पास नहीं फटकते । इस विषय पर
“सर जाजे वडडड” के लेख का उद्धरण विशेष रुचिकर होगा;
चहद इस प्रकार है *--
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