प्राकृतिक चिकित्सा क्यों? | Prakritik Chikitsa kyon?
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.44 MB
कुल पष्ठ :
50
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निसगापिचार में रामनाम का स्थान श्र
सबंध रसनेवाले क्षय जेसे रोगों में; जब कि मरीज की जीचन-
शक्ति चहुत क्षीण हो गयी हो; केवछ प्राकृतिक उपचारों से दस
कामयाच होगें, ऐसा नहीं कद सकते । भावार्थ यदद कि निसर्गो
पचार की छुछ मर्वादाएं दो; तो वे हमारे ध्यान से आनी चाहिए
और उनको स्वीकार करना चाहिए |
ऐलोपेंथी आदि उपचार-पदतियो में जो मूलभूत दोप हैं;
वह चतलाना हमारा फर्ज है। जसे वे हमारी मिट्टी; पानी; धूप
आईि की हेंसी इढ़ाते हूं; चसे हम उनके जात्य की निन्दा न करें ।
डॉक्टर लोग सत्य-दवट्टि रखते हुए तटस्थ इष्टि से प्रारुतिक
'उपचार-दास््र का अध्ययन नहीं करते है और उसके सत्याश को
अहण करके जनता को उसका लाभ नहीं पहेंचाते उनका
बिचार-दोप हु; इसमें सन्देद नद्दी । 0९809
निसगोपचार में रामनाम का स्थान : ६:
रामनानावलन्वी निसर्गापिचार गारधीजी को विशेष कल्पना
टूं। अय तक पाथ्चात्य या प्रान्य निसर्गोपचारकों में किसीके
ध्यान में यह विचार आया हो; ऐसा दिखाई नहीं पढ़ता ।
गाधीजी के *रामनाम” बालो फछिताच पर आचायं विसोवा भावे
न एक अन्छा भाष्य ठिया ह। उस भाप्य में उस क्ताय में से
कुछ उदरण दिये गये हैं । बे उद्धरण यहों दिये जा रहें हैं, जिससे
यावौज़ों के इस विशेष थिचार का इसे दर्दान होंगा 1
१. दस चार फिडनी ओर लिवर दोनों घिगडे हैं, सेरी दृष्टि
से यह रासनाम मे मेरे विइवास के कन्चेपन की
चजहद से दे |
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