स्वास्थ्य और दीर्घायु | Swasthaya Or Dirghayu

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Swasthaya Or Dirghayu by ए. सी. सेलमन - A. C. Selman

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ए. सी. सेलमन - A. C. Selman

Add Infomation AboutA. C. Selman

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
स्थास्थ्य रत्ता का लाभ । श्शु छा रोग्य श्योर पुष्ठ होने का प्रवन्ध उस के ज्ञन्मने से पूर्व ही करना चाहिये; माता शोर पिता को ध्यपनी स्वास्थ्य पर यथोचित ध्यान देना ध्यावश्यक के नि्वक्ष श्यौर रोगी माता पिता के बालक हृष्ट पुष्ट उत्पन्न नहीं हो सकते ॥ इस पुस्तक के पाठक जिन्दोंने युवा वस्था प्राप्त की हो, कदा चित्‌ चहुतों के दुर्बल शरीर हों श्र कोई २ रोगप्रस्त हों, यदि यह दूशा हो तो यह झ्रति योग्य है कि वांचनेवाले इस पुरुतक के न केवल स्वास्थ्य के नियम ही पढ़ें और स्वास्थ्य की दूशा में शरीर की सावधानी करें पर यह भी कि रोगी होके फिर उसे स्वास्थ्य में लाना सीखे । इस ग्रन्थ के लिखने का मुख्य घभीष्ट झर्थ यह है कि श्रन्थवाचक को यह स्पष्ट करा दें कि वह पते परिवार समेत किस प्रकार से रोगों का ध्वरोध करे छौर स्वास्थ्य.खुरक्षित रहे, इस में इस प्रकार का सिद्धान्त हैं। उन प्रचलित रोगों का, जिन की दवा इसके घनुसार घर ही में स्वयं हो सकती है श्र वैद्य की झावश्यकता _ नहीं है, निस्सन्देद क्षय-योग में चतुर वैद्य को बुलाना ध्त्यावश्यक है ( क्योंकि इस में बुद्धिमान वैद्य को छोड़ पुस्तक काम न देगी ॥ रोगों के कारण। बहुत लोग जड़ता से यह बिचार करते हैं कि रोग देवयोग से होता है, इस में हमारा कुछ वस नहीं चल सकता है, डाक्टरों ध्यौर विद्वानों का यह मत है रोग सुख्य कारणों द्वारा होता है, यथोचित ध्यौर बिधिपूर्वक भोजन न मिलने से कई रोग हो जाते हैं जसे बेरी-बेरी (०८71-०८) रोग फिर शरीर में विष घुलने के कारण रोग होता है जैसे यह वहुधा उन ' ज्लोगों को होता है, जो दियासलाई के कारखानों में काम करते हैं, घ्पथ्य खाने से भ्रजीणा का रोग हो ज्ञाता है, उक्त कारण केवल दु्शांश रोगों की जड़ है ध्ोर शेष रोग ॥ रोग उत्पन्न करनेवाले कौड़े । मनुष्य के ध्रति हानिकारक शक्ल रोग उत्पन्न करनेवाले कीड़े हैं। प्रति दिन वे हज़ारों की सत्य का कारण हैं इन कीड़ों से सर्दी तपेदिक वा राजयक्तमा; दस्त मोतीभकरा, दैज्ञा, ज्वर, कोड, ताऊन, खांसी धर बहुत प्रकार के रोग होते हैं। इन को पढ़ने से यद्द ज्ञात होता है कि बहुत रोग ठप से उत्पन्न होते हूं शोर संसार में छाधिक स्ृव्यु इन्दीं के हारा हीती है




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now