हिंदी सुरस पदें | Hindi Suras Paden
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.5 MB
कुल पष्ठ :
50
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रकरण १ छें, स्तुति. श्७५
आचकरकॉफिनिक,
जोगि खरूप, पद ३० रागखुमाची-
था चिध जोगि जोगसु रमते । ताहीके वलदारी है' ॥ टेक ॥।
पंच मद्दाप्रत कंथा जाके । भुलिन तनु विसारी है ।
मूल उत्तरगुण पाणी सेती । सुरति करिकरि परवारी है. ॥ १॥
द्रादग अनुप्रेशा सीरजटा । उपसम दंडजु भारी है' ।
पंच समिति जंगोटा कसिके । सीठ कसोठा धारी है ॥ ९ ॥
संजमकी झोली झुभखंघे । फेरि पंच धर सारी है ।
दोकर खप्पर आगे मांडे । एपणा समिति अद्दारी है ॥ ३ ॥
इंद्री दुमनकी करि सारंगी । रन्नत्रयजि सतारी है ।
दुविधा धर्मको नादसुनावत । चेतन अछख जगारी है ॥ ४ ॥
करणाफी माठा उरशोगे । परिसद् अंगको छारी है ।
राग दोख दुहद कान चिराके । समकित मुद्रा ढारी है ॥ ५ ॥
तनु शुफासें वसत निरंतर । ग्यान दीपक उजयारी हे ।
तीन गुपत्ति मटि माहिं पैसे । सुमताजोगिन लारी है ॥ ६ ॥
अष्ट करम ईधनकी धूनी । ध्यान अगनिसो जारी है ।
दृदाउक्षणणुण चक्र फिरावत । आगम दृष्टि निह्दारी है ॥ ७ ॥
तपमिखर चढ़ि जगशुरु देखे । सिद्ध निरंजन भारी है ।
जट्दीं देखे तह्दां और न देखे । परम परापति सारी है ॥ ८ ॥
झुछध्यान परिपूरण करके । केवल सिंगि गुंजारी है. ।
सुरनर फणि सिप आईतच्छन । गोरख भगति उचारी है॥ ९॥
पेसो जोग सुगुरु जे साथे । तिनकी गत कछु न्यारी है ।
अमुलिकसुत हिराचंद कहदत है । आवागमन निवारी है. ॥ १० ॥
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