हिंदी सुरस पदें | Hindi Suras Paden

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रकरण १ छें, स्तुति. श्७५ आचकरकॉफिनिक, जोगि खरूप, पद ३० रागखुमाची- था चिध जोगि जोगसु रमते । ताहीके वलदारी है' ॥ टेक ॥। पंच मद्दाप्रत कंथा जाके । भुलिन तनु विसारी है । मूल उत्तरगुण पाणी सेती । सुरति करिकरि परवारी है. ॥ १॥ द्रादग अनुप्रेशा सीरजटा । उपसम दंडजु भारी है' । पंच समिति जंगोटा कसिके । सीठ कसोठा धारी है ॥ ९ ॥ संजमकी झोली झुभखंघे । फेरि पंच धर सारी है । दोकर खप्पर आगे मांडे । एपणा समिति अद्दारी है ॥ ३ ॥ इंद्री दुमनकी करि सारंगी । रन्नत्रयजि सतारी है । दुविधा धर्मको नादसुनावत । चेतन अछख जगारी है ॥ ४ ॥ करणाफी माठा उरशोगे । परिसद् अंगको छारी है । राग दोख दुहद कान चिराके । समकित मुद्रा ढारी है ॥ ५ ॥ तनु शुफासें वसत निरंतर । ग्यान दीपक उजयारी हे । तीन गुपत्ति मटि माहिं पैसे । सुमताजोगिन लारी है ॥ ६ ॥ अष्ट करम ईधनकी धूनी । ध्यान अगनिसो जारी है । दृदाउक्षणणुण चक्र फिरावत । आगम दृष्टि निह्दारी है ॥ ७ ॥ तपमिखर चढ़ि जगशुरु देखे । सिद्ध निरंजन भारी है । जट्दीं देखे तह्दां और न देखे । परम परापति सारी है ॥ ८ ॥ झुछध्यान परिपूरण करके । केवल सिंगि गुंजारी है. । सुरनर फणि सिप आईतच्छन । गोरख भगति उचारी है॥ ९॥ पेसो जोग सुगुरु जे साथे । तिनकी गत कछु न्यारी है । अमुलिकसुत हिराचंद कहदत है । आवागमन निवारी है. ॥ १० ॥




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