अनासक्ति योग | Anasakti Yog
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.32 MB
कुल पष्ठ :
354
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११
त्यागशक्ति पैदा करनेके लिए ज्ञान चाहिए | एक
तरहका ज्ञान तो वहुतेरे परिडत पाते हैं । वेदादि
उन्हें कर होते हैं । परन्तु उनमें से अधिकांश
भोगादिमें लीन रहते हैं। ज्ञानका अति्रिक
शुष्क पांडित्यके रूपमें न हो जाय, इसलिए गीता-
कारने ज्ञावके साथ मक्तिको मिलाकर उसे प्रथम
स्थान दिया है । बिना मक्तिका ज्ञान नुकसान
करता है । इसलिए कहा है, “भक्ति करो, तो ज्ञान
मिल ही जायगा ।” पर भक्ति तो 'सिरकी बाज़ी'
है, इसलिए गीताकारने भक्तके लक्षण स्थितप्रश्केसे
बतलाये हैं ।
तात्पय यदद कि गीताकी भक्ति चाह्माचारिता
नहीं है, अंघन्रद्धा नहीं है। गीतामें बताये उपचारोंका
बाह्य चेष्टा या क्रियाके साथ कम-से-कम सम्बन्ध
है । माला, तिलक और सर्व्यादि साधनोंका भले
ही भक्त उपयोग करे; पर वे मक्तिके लक्षण नहीं
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