मेघविनोद | Meghvinod
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.88 MB
कुल पष्ठ :
698
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ट
ऐसी अव्था में गरीब देहातियों पर जो वीतती है उसे प्रसु ही जानता है।
असंख्य रोगी बिना चिकित्सा के अथत्रा वेद्य कहने वाले मूखे टोटके वालो
की गलती से मृत्यु के मुख में जाते रहते हैं ।
लोगो में दुरिद्रवा इश्र प्रकार छाई हुई है कि इच्छा रखते हुए भी
प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रारम्मिऊ शिक्षा से आगे नहीं बढ़ सकता ।
हमारा ग्रत्थ लिखने का मुख्य उद्देश्य यट्दी था कि साधारण पढ़ा लिखा
मनुष्य जो कि अपने में कु बुद्धि थी रखता हो इस पुश्तक के पढ़ने
से रोगियों को सत्यु के सुख से वचा सकता है; क्योकि संसार में
बिद्यादान श्रौर जीववदान देने से बढ़कर कोई पुण्य नहीं । रोगी को
भलाई के रददेश्य से हो चिकित्सा करनी चाहिये, धन और यश
तो सत्य पीछे पीछे फिसते हैं ।
२--दवाइयों के नाम भी विलकुल प्रसिद्ध दिये हैं, इस वात की पूरी
कोशिश की गई है कि जो दवाई वाज़ार मे जिस नाम से मिलती है, उसका
यथा सम्भव वाज़ारी नास ही दिया गया है ।
३--दवाई तयार करने के तरीके भी बिलकुल सीधे सादे कर दिये
हैं, मूल गन्थ में जहां कहीं उलमन श्राई है इसमें हमने साफ कर दिया है,
ताकि दुवाई बनाने में कोई संकट वा कठिनाई न रद जाये ।
४-सान्ना-यह छापको प्रतीत ही है. कि प्राचीन ्रत्थों में दवाई
की मात्रा सिकदार ( खूराक ) कितनी अधिक लिखी गई है, आजकल
इतनी सात्रा कोई व्यक्ति पचा नहीं सकता । हमने इसी वात को देख कर
समय के मुताबिक प्रत्येक ओपवी के पीछे उसकी मात्रा घ्योर अझनुपान
लिख दिया है ताकि दृवाई सेवन में कोई रुकावट न हो ।
४--झअस्तिस अध्यायों में बूटियों की पहचान तथा धाठुओ को
शोधन सारण विधि बड़ी सरलता से लिख दो है, जिस जिस बूटी का
हमें पूर्ण ज्ञान है, हमने उसके बताने में कोई कसर नहीं रखी और जो
बूरी श्राम प्रसिद्ध है उसको भी हमने उसी ढट्ठ से लिख दिया है।
दे--इस श्रन्थ के पास रददने पर अन्य अस्था को साथ उठाने को
आवश्यकता नद्दीं रद्द ,जाती ।
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