वेदान्त पुष्पांजलि : | Vedant Pushpanjali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'भभिका ः द् दूर कर देती थीं । विशेष करे श्री अध्यापिको गडूण्देवी जौ को मैं » इस लिये ऋषिनी 'हैं कि उन्हों से मुझे घ्रह्मदशैन करवाया गौर मैं उन की 'कुपा से जटतब्गद का 'तरव समझने लगी । जच से सुभे अमेद ज्ञान हुमा तथ से जो मानन्द अुभ्से घाघे छुआ उस के पहले घन आानिस्द कभी नहीं 'मिछा था । अतः नमः 'परमर्घिस्य व नमाइध्यापिकाय 4 यह कह ऋर इस भूमिका का समाप्त करता 1 ईतिं सुंभमूधाते पनलेड्को-- अ रूपकुमारी देवों ज्षयपुर्नगराघीश खघाई रामंखिद ४. 6. 0. 8. 1. की सद्दधसिमणों तथा शी १०८ थुम मेजर जनरल सर सब माघवसिद देख सरपति _फ. ७, 8. 3. ७. ए,. द. ऊं, 9 ए. ४.0, 0. छ. 2. ते. 1., जी, करे माता चल्यान जयपुर: सं १६७८ फार्तिक मास १३ अक्तूबर सन्‌ शु६५१ ई० ष




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