आधुनिक जापान | Aadunik Japan

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Aadunik Japan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वैंघानिकता का झास्टोलन 9 इस घोषणा ने श्वान्दोलन को एकदम ठड़ा कर दिया । किसी को भी इस पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं प्रतीत हुआ । फिर भी शुर-हंत्र (एकल की ब्सीम शक्ति चोर उसके श्वनियन्त्रित 'पधिकार अधिकांश कायम ही रहे जिसके कारण नोकरशाहों के प्रति सर्वसाधघारण की घृण्गा किसी भी तरद दूर मे दो सकी 1 हक्‍्रे-टुक्फें इमले 'छम्पाचारी व्ौर स्वेच्छाचारी शधिकारिया पर दोते दी रहे तथा सरकार की योर से भी इन प्यातंकवादी-फारंवाइयां के दमन के नाम पर प्रमुख्व ान्दोलनकारी जेलें में भरे जाते रहें, उप्र समाचार-पत्रों का गला घोंटा जाता रा, निर्वासन का चाउपर यर्म रटा तथा सावें- जमिक समायों में मत-प्रदर्शन तक की सनादी जारी रदी । किन्तु इसके साथ ही तत्कालीन सरकार भी यदद पूरी तरह समभा गई़े कि शासन का फोई बैधानिय ढांचा रड़वर सड़ा किये घिना देश में शान्ति 'घोर वायस्था स्थापित नहीं हो सकती । मंघिमडल मे 'प्रोऊुदो की एस्या 'ोर ोडसा के पदत्याग से बाद एक ही योग्य व्यक्ति रद गया था, रास मार रटी--बटी शोशुन- शासन का भगोंदा थियार्दी ईटो । '्रसण्व सरपार पी घोर से उस ही दिरैशों थे विशिस टिशों की पैयासिक वस्था को 'पध्यगस फोर परख परे की मजा गया । चर काफी दिया सफ यार पीर संयुक्त-राष्ट्र -यमेरिका के पियानां की इदान घीन बरस दे पर्च्यातू, जापान घापस न्नोटा 1 जी का थम दिंधान का निमाण न की सदाकगार कर: “3 '््ग्प् सै शाप पिरेशों से सॉदिसे टी सारऊुसार इदा प्ले 'पथ्यक्षरा से एप पुपिधान सिरमासो समिति (एस न विद सह दे हीं हरित (तििशइन न की ७, न््दि कर रारह न, 2 लि हज 11/ लो सपापिव की सा । टा से पूरा तरह सर सम शेप रो दर




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