लाल किले में | Lal Kile Me
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.56 MB
कुल पष्ठ :
165
श्रेणी :
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No Information available about सत्यदेव विद्यालंकार - Satyadev Vidyalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दिवानखास में अदालत की कायंवादी की गई थी 1 बादशाद पर चार असियोग लगाये गये थे । उनमें कहा गया था फि शमियुक्त ने -- (१) ब्रिटिश सरकार के पेंशनर होते हुये भी विरली और उसके ास-पास १० मई से १ श्रक्टूबर १८४७ के बीच प्नेक कमीशने-प्राप्त अफसरों और सिपादियों को हत्या करने शोर राज्य के चिरुद्ध विद्रोद करने के लिये सहायता की श्लौर भडुकाया था । ही ।.. (२) पने पुत्र मिर्जा सुगल को जो निटिश सरकार की एक प्रजा था और छन्य प्रजाजनों को राज्य के घ्रिरुद्ध विद्रोह फरने और युद्ध करने के लिये प्रेरणा श्रौरं प्रो्सीदन दिया । (३) न्िटिश सरकार की मजा होते हुये ्ोर राज़भक्ति की छुछ भी पर्या न फरते हुये दिल्ली में ११ मई १८५७ को था उसके मासपास राग्य. के विरुद्ध बगावत की झपने को हिन्दुस्तान का राजा और सम्राट घोषित किया विश्वासघात करके शहर पर गोरकानूनी तीर पर कब्जा किया पने पुत्र मिर्जा मुगल सुद्दम्मद घख्त खां ादि चागिथों के साथ मिल कर धोर्खा दिया दूर किया पडयन्तर रचा वावत की घिद्रोद फिया श्लौर राज्य के चिरुद्ध युद्ध किया । हिन्दुस्तान में से ब्रिटिश सत्ता को इखाद पकने के लिये दिल्ली में सेनायें इकट्टी कीं श्यौर उनको जहां तह लड़ाई पर भेजी । कर (४) १६ मई १८४७ को या उसके ास-पींस दिरली राजमदस ( किले ) में ४६ युरोपियनों की जिनमें थ्िकोर्ी |
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