हिन्दू भारत का अन्त | Hindu Bharat Ka Ant

Hindu Bharat Ka Ant  by भगवान दास - Bhagwan Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मारतवपंका राजनीतिक सूगोल थ् समाप्त हुआ । महमूदकी सत्यु इसके कुछ ही पहिले हो युकी थो 1 झरव अंधकार भारतके दो विभाग--सिंघ और हिंद हमेशा किया करते हैं। सिंघकों उन्होंने पहले ही जीत कर झपने राज्य दर घर्ममे सम्मिलित कर लिया था श्र्थात्‌ वह प्रदेश भारतवपंसे एथक हो गया था । हिंदका सुख्य भाग मध्यदेश ( मदामारतमें भी यदद नाम शाता हैं ) श्रौर उसका मध्य क्रक्नास नगर हैं। इस समय राजनीतिक दष्टिसे भी फनोज भारतका फॉंद्र था । शव्वेकनी कहता हैं कोश शार- तफे स्चश्रेष्ठ राजाफी राजधघानी ओर निवासस्थान है । हम दूसरे भागम यतला चुके हे कि कन्नोजमें इन दिनो प्रति- हार समादू राज्य कर रहे थे। चदिक हर्षफ्े समयसे ही फलोल भारतवर्पफी राजधानी थी परिणामत चार सो बपोंफि चैमबसे चह नगर हिंदू सस्कति बिद्वत्ता श्रीर कलाका केन्द्र बच गया था । वहाँ चारो श्ोरसे श्ववान विद्वान तथा थार लोग पकन होगये थे । शत यह स्चासाधिक ए कि शाल्ये रूनीने कस्नोजको दी मु्य स्थान मानते इए नुगोलका चखणुन फिया हू । ( रामायणुक भूगोल-वणनमें कुर्ेन्कों मुख्य माना हैं । ) यद्दों तक कि राजशेखरने काव्य-मीमांसा में स्पए लिखा है कि झान्तर और दिशा कश्नोजसे नापना चाहिये । ग्रस्वेहनोने कदालित्‌ इसी चचनके अनुसार भारतका भूगोल लिखा हैं। गंगा यपुनाका डुआ्ावा--दन्तवेदि --यास्तवसें मारतवफंका मध्य हैं झत पूवं कालीन श्याचा्योनि जो श्ादेश दिया दे कि झत्त्वेदिकों मध्य विन्डु सानते हुए भूगोल लिजना चाहिये चद ठीक ही दे । झन्तबंदिका भी मब्य बिन्दु घज्नोज हे ्रोर चहाँ राजशेयर प्रतिहार सबारोफें राज-




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