पुरातत्व निबंधावली | Puratatva Nibandhavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.21 MB
कुल पष्ठ :
389
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ पुरानस्व-नियघावली
यद्यपि गढ़की खुदाईमें हाथी-दॉतवा दीवट (दीपायानी) तया और
भी बुछ चीज़ें मिली थी; किन्तु सबसे महत्वपूर्ण वह थाई सी मुदरें हैं।
गुलराउते पूरी मुहर बहुत थोड़ी मिली हू, उनमेंसि एसपर मिम्त प्रवार-
वा ठेख है--
स्वेसालि अनु न थी के के दे की की बारे सपातक”!
इसमें वेमालि बनुसयानवफों वेसालीवनुसयानक बनाकर डाक्टर
फुडीटने “वैतालोका दौरा करनेवाठा अफसर” भय किया है; और,
“टवारे” के छिये बहा है--यहं एक स्यापके नामका अधिकरण (सप्तमी)
में प्रयोग है। मशोककें लेखोमें पाच-पाँच वर्पपर खास अफेसरीके अनुसयान
या दोरा बरनेही बात लिसी है। उसोचे उपर्युक्त अय निकाला गया हूँ।
किन्तु सिवा बेसालि दब्दके, जोकि, स्थानकों बतलाता हैं, मौर अं
अनिषि्चित्तसे ही है।
दूसरी मुहरमें है
“राज्ञो महाक्षत्रपस्य स्वार्मीरुद्सिहस्य दुद्धितु
राज्ञो महाक्षतपस्य स्वामीरुद्रसेनस्प
'भपिन्या महादेव्या श्रभुदमाया”
“राजा महाज्षतप स्वामी स्दसिहकी 'पुयी, राजा महाक्षपत्र स्वामी
'रुद्सेनकी वहन महादेवी श्रमुदमाती ।
महाक्षत्रप रुद्रसिह और उनके पुत्र द्दसेन चप्टन-रुद्दामचलीय परिचिमीय
क्षत्रसोमेंसे थे, जिनकी राजघानी उज्जैन थी। स्दिह और रृद्रसेनवा
'राज्यफाछ ईसाकी तीसरी दाताब्दीका स्ारम्मे हैं। अमुदमाके साथका
महादिवी शब्द बतलाता है कि, वह किसी राजाही पटरानी थो। क्षयपों
और दातदाहनवशीय बार्घ्रावा विवाह-सम्बन्व तो मादूम ही हैं; विन्तु
प्रमुदमा किसकी पटरानी थो, यह नहीं यहा जा सकता!
'हस्तदेवस्य” मुहर कुपाय-डिपिमें है। युप्तबालीन मुदरोमें कुछ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...