हिंदी साहित्य का विश्लेष्णात्मक इतिहास | Hindi Sahitya Ka Visleshanatmak Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.16 MB
कुल पष्ठ :
267
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्की साहित्य का विश्लेपणात्मक इतिहास ११
जनता में भी चिन्ता व्याप्त थी। स्वतंत्र सम्राट संधर्षो' में तछीन रहने के
कारण समाज की चिन्ता से विरत थे । जिन राज्यों पर मुसलमानों का शपिकार
हो जाता था उन राज्यों के प्राणी उनसे रदेव भयभीत एवं प्रकम्पित रहते थे ।
इस प्रकार समाज का जीवन ही अशासि, भय तथा दुदंशा से पीडित हो गया
था । इन परिस्थितियों में कोई भी साहित्य केसे उन्तत सौर समृद्ध हो सकता
है ? साहित्य में भी इन्ही सामाजिक पतनोस्मुख चित्रों का प्रतिबिम्ब स्पष्ट
दिखलाई देता है ।
घार्मिक :--हिन्दी साहित्य के इतिहास का वीरगापा काल बौद्ध-धर्म के
'ह्लास का काल माना जा सकता है । हर्पवद्धन के शासनकाल में ही बौद्ध
घर्म में दो घाखाएं ( हीनयान और महायात ) हो गई थीं । हीनपान का
अर्थ छोटी गाडी और महायान क। अर्थ बढ़ी गाडी के रूप में दिद्वातों ने स्वीकृत
किया है । इन दोनों का सर्प हर्प की मृत्यु के पश्च]तु बढ गया । महायान कुछ
बर्पो' तक जनप्रिय धर्म रहा कित्तु काल-क्रम से उसमें भी कई टुकड़े हो गये ।
सबसे अन्तिम टुकडें है--बज्चयान और सहुजयान, जो अपनी गाड़ी को सचमुच
इतनी भजयूत और सहज बना सके कि उनमें कष्टपूर्ण बतननियम आदि का कोई
अंग रहा ही नहीं । बन्त में यह धर्म समाप्तप्राय हो गया ।
इसी समय महावीर स्वामी द्वारा प्रचारित जैन धर्म के 'इवेताम्बर' और
'दिगम्पर' नायक दो भेद हो गये । इनकी साधना-पद्धति में भी दोप था
गये थे । इनमें घाह्मावारों का समावेश हो गया । इस प्रकार बौद्ध और
जन पर्म के पतनोन्गुण होने पर सेव प्रान्त निवासी स्वासों दाकराचार्म ने बौद्ध
तथा जेन जेसे अवेदिक धर्मों का उन्मूलन कर उनके स्यान पर वैदिक परम को
महस्व दिया | इॉकराचार्य ने वौद्ध और जैन दोनों धर्मों की आछोचना की,
तत्रालीन हिन्दू धर्म के मिलल-भिस्त प्रचलित सम्प्रदायों दो भी बट आलोचना
मी घोर अपना एक नवीन घर्म चलाया 1
चज्यान की नवीन पापा ने नाथ सम्प्रदाय के नाम से अपने सिद्धान्त
झड़ बाउते ए्ाद्नप्-पप का भारत में ज्चार करता शाइम्स फ़र दिय्या । इस
प्रकार इस काल में हिन्दू घ्मे में हो विभिन्न सम्प्रदाय और धापाएं दिपलाई
देती हैं जो क्षापस मैं छडती थौर भगढ़ती हैं । जंनी, शव, घावय, वेदान्ती
माना प्रकार दे सेंडास्लिक दछ एवं दूसरे से होड़ ले थे श्र धर्म मे गदज रास्ते
को दुरूद, भयवा अपम्प और कठिन बनाते थे 1
इसी समय धर्म के शेत्र में मुवदमानी धर्म का मी म्रचार दड़गा है 1 दिव्दू
और मुसलमान धर्म तपा मिपा और युन््नी पर्मो में आपस में संधर्ष द्विड जाता है। -
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