श्री धर्म्म कल्पद्रुम खंड - ४ | Sri Dharma Kalpadruma Vol-iv
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.03 MB
कुल पष्ठ :
418
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'हुश३९: थीचर्मकरपटुम 1
, +,. पदकर्म द्वारा शरीर शोधन, झासनके हारा इढ़ता, घुद्दाके द्वारा स्थिं
रता, प्रत्यादारसे घोरता, माणायाम-साधन ,द्वारा लावव, भ्यान द्वारा सक्ति
का प्रत्यक्ष झौर समाधि द्वारा निरलिप्तता घ मुक्तिल्ाम अवश्य होता है! हब
सब मानसिक घ आध्यात्मिक ला्भोके सिवाय दटयोगके प्रत्येक झह्ह वर उपाह
साधन द्वारा शारीरिक स्वास्थ्य चिपयक सी बिशेष लाम होता है जो योगिराड
झीशुददेवसे जानने योग्य है । झव इन झज्नॉका वर्णन संक्तेपले किया जाता ह्े।
दठयोगका प्रथम झड्म पदूकर्म साधन दै जिसके लिये योगशाखर्म लिखा है”
घौतिचत्तिस्तथा नेतिलौलिकी श्रारकं तया।
कपालमातिश्तानि पदकमीणि समाचरेत् ॥
चौठि, चस्ति, नेति, लौलिकी, श्रादटक व कपालमाति पदकर्मके ये है
साधन हैं । घौतिके विपयमें कद है--
उन्तर्घोतिद॑न्तपीतिहेदौ तिमुलचों घनम । :
चौर्ति 'चतुर्विधां कूत्वा घट कुवन्त निर्मलम् ॥
झम्त्घति, दन्तघौति, इट्घौति' और मूलशोधन इन चार
चौतिके द्वारा शरीरकों निर्मल करें। पुनः अन्तर्धोति भी. चार प्रकार
की है, यथा- दे
चातसारं चारिसारं चहिसारं चहिष्कृतम् |
घरटनिरमलतारधाय अन्तर्घधोतिश्वतुर्विधा ॥
धघातसार, चारिसार, चन्दिसार थ घद्दिप्कतसार ये चार प्रकारकी झर्तः
ीति होती हैं जिनसे शरीर निर्मल दोता है । वातसारका लक्तण यथा--
द८- काक'चन्चुवदास्येन पिवेदू घायुं दाने: धानेः ।
०... प्याठयेदुद्रं 'पश्दादू चत्मिसा रेचयेच्छने। 0
दोठौको काकचब्चुकी तरदद बनाकर धीरे धीरे घायुपान करके उस
घायुको उद्रष्हे सीतर 'ालित करें और पश्चात् सुखके द्वाय शनेः शरैः उस
घायुका रेचन करें। यदद फ़िया झग्नियदंक थ सर्वेरीप्यकारक है!
बारिसारका लन्षण--
7. आाकप्ठ पूरयेद्वारि चख्रेण च पिवेच्छनै: ।
-.. 'वालयेदू गुद्सागेंग प्योद्राद्रेंचयेद्घः ॥।
कल च
+
गे
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