उन्नीस सौ चौरासी | Unnish Sau Chorashi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.7 MB
कुल पष्ठ :
228
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रहता या। एक दित भी ऐसा नहीं शुडरता था उ्डहि रियर
का सके जामूर्यों बौर तोइ-फोइ बरते याते आमिर वो
इंडरी न हो । उचके पाम बढ़त बडी युप्त सेना पी, बसशर आग
नरी थे और वे सड राज्य को उसेठते की सतत चेप्टा करे रहते दे ।
उसके आादमियों वो 'इदरझुड' को सझा दो गई यी। यह भी न
हो कि एक बड़ी मयकर पुस्तक है. जिसे गोस्डर्टोन ने लिया है. की दि
यह पुस्तक पुप्त हुप से प्रच्रित की जाती है । इसया कोई दास नही
है। उसे केवल पुस्तक के नाम से हो लोग जानते प। इदरहुए या
पुस्तक के संबंध में पार्टी का हरेंक सदस्य, जहां तक समन होता था,
चर्चा बरने से दचने का प्रयत्न करता । का
दूपरे मिनट फिलम चरम सीमा पर पढ़ेच गई थी । सोम अपनी
अपनों कसियों पर उछत रहे थे, वविस्ता रह थे और सोए मदाफरे
गोहडस्टीन की आवाज को अपनों आदाद में डुदा देने का प्रयान कर
रहे ये । बगन मैं देठी स्टी का बेहरा सु हो गया और उस मुह
ब्रकार बार-बार स्युण शोर दद हो रहा था डेंसे पानी गे बादर लाकर
छोड़ी गई किसी मछली का । ओ दायत को भारी चेहरा भी साल हो
गया या । पी बैठी घने और गहरे कालि बालों बालों लड़की विस्दा
रही थी, 'सुशर ! सुअर 1 । सुब्र ! !।' अवस्मातू उसने गई भाषा
चाल माटी डिदशनरी उठाऊर स्थौन पर दे मारी । वह गोर्दस्टीन की
नाक पर लगकर नोते गिर गई । टेलीस्कीन के पीछे से आवाज दरार
आती रही । शुकाएक विल्म्टन ने अनुभव किया कि वह भी श्न्य लोगों
कै साथ चिल्ला रहा हे और अपने जूने से दर्मी को वार वार ढोकर भार
रहा है। दो मिनट बाली उस दूधा-प्रचार फिल्म को विशेष
प बल महू
हीं थी कि उसमें चित्ताने वालों के साथ आए भी शोर मचाएं,
अपितु विशेषता यह थी कि आर डिना चीठे रह ही नहीं सकने थे। नीस
मेकेइ बाद हो गम्मीरता समाप्त हो जानी थी । भय और कौय वा भाव
आपपर हावी हो जाता या । ऐसी इच्छा होती थी कि डिसीकते शार
शाता जाएं, हवौड़े से उनका भड
मुद्द झूट दिया जाएं | थे नावनाए विजयी
की तरह उभर जातों थी और लए विशिप्ठों की गरहू चिल्तानि सगते
थे। यह चुणा और विध्दश की दुच्दा काल्पनिक थी बौर इसे किसी भी
विषय या ब्यदित की और भोड़ा डा कता था । विन्स्टन को इस च्णा
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