अनंत की रह में | Anant Ki Rah Me
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.02 MB
कुल पष्ठ :
513
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूर्य घर उसका म्रद-परिवार श्हे
शब्दों में दमकदद सकी कि इस यूत का फोई भी साय शुक्”
घिन्दु से दोझर गुजरने घाठी इस देखा की थाई छोर तो फमी
मौ न दोगा। परिणाम यद कि; पृथ्वी से देखे जाने पर शुफ्र पद
इस बिन्दु पर दोते समय सूर्य से जितना दूर दिख पड़ेगा उससे
ज्यादा दूर बदद कभी भी न दिय पढ़ेंगा ।
अप इस “पृथ्वी-सूर्प” खोर “हुक-सूर्प” रेखाओं को नाप
सकते हें छोर इस प्रकार सूये से प्रप्दी और शुक्र की दूरियों फा'
झतुपात जान सकते हैं। ठीक यददी मरक्रिया इम बुध प्र को
देकर भी कर सकते हैं।
इन सारी प्रक्रियाओं को करने में दम यद्द मानकर पे थे
कि इन तीनों दी प्रददों की च्रमण-फक्षाएँ बृत्ताकार या गोल हैं,
परन्तु तथ्य तो कुद्ध और हो दे। इंसा की सच्द्वीं शनादददी में
व्यूटेम्वर्म (जर्मनी) के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ जान फंपठर ने यद्द सिद्ध
कर दिया कि यद तीनों दी फश्नाएँ बास्तव में दीप-दृत्ताकार
(लाफतिष्ण) हैं ।
रेखाचित्र ७ से माद्धूम होगा कि एक दीप्यृत्त क्या दे और
हसका ज्यामितिक रूप फैसे खींचा जाता है। इसको घींचने फे
लिए इम एक प्रक्रिया यों कर
सकते हैं। एक कागज पर दो दम
छाउपीनों को एक दूसरे से कुद्
दूर के दो विन्दुओं पर, जो एक
बिछ्कुछ सीधी रेखा में दोते हैं; रेखाचित ७
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