अलंकार परिचय | Alankar Prichaya
श्रेणी : भाषा / Language
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.83 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( हे
(४ माय गे है भय भी पते सन
बन
च्न्न्
(है) श्रह लि बरगद हैं मुझे बात हो
विस दिस ऋलयारा हैं नहीं प्रा मेरा ।
ईबकयाता है न (0) स्राइुस करता है (२) चैन पाता है)
(४१ रे प्रेम में हो शुक्र बसदल कोने
कयल उसीसें होते 'टल चत हैं ।
(राइस से (0) पीपल (२) दिलते हुए पत्तांबालां
यस > (६) डो बनायमान ने दो (२) पदाह)
४-रलेप
जप पद में प्धिक 'पदाले शरद या शब्दों का प्रयोग
पिया जाप ।
( १) धलिहारी शप फृष को शुभ चिस घूंद ने देदिं ।
(अर्थ-राजा धर फूप गुण पिना कुदद मी नहीं देते )
यहाँ गुण ध्ज अये है पक रात के साथ लगता है भर
दूसरा शूप फे साध- पि
गाज़ा फ साथ गुण का 'यथ ह-सदूसुण
दौर फूप के साथ गुण फा 'र्थ दै-रस्सी ।
(+ ) पानी गये न उपर सोती मानुस्य चून 1
« पानी नाश हो जानें से माती मनुष्य शोर शून किसी
चाम थे मद्दीं रहते )
यहाँ पानी के तीन 'र्थ है--
मोती के साध--घाय या कान्ति
मनुष्य वे साध--इजत या प्रतिष्ठा
चूने के साथ--जल |
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