भारतीय दर्शन | Bharatiya Darshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सारतीय दर्शन पहला श्रव्याय विषय-प्रवेठा भारन की. प्रादसिक रिथिनि-नभारतीय वियारघारा को. सामान्य विशेषताएं--भारतीय दर्शन फे विस्द्ध कुंड श्रारोप--भारतीय दर्शन के झंप्ययन का. मदस--भारतीय. विचारधारा के विभिन बाल । १ भारत को प्राकृतिक स्थिति चिन्तनशील व्यक्तियों के विचारों के प्रस्फूटित हो सकने तथा विभिन्‍न कलाओओ श्र विज्ञानों के समृद्ध हो सकने के लिए एक सुव्यवस्थित समाज का होना श्रत्यावश्यक है जो पर्याप्त सुरक्षा श्रौर श्रवकाण प्रदान कर सके । घूमक्कडो के समुदाय में जहा लोगो को जीवित रहने के लिए संघ करना श्रौर श्रभाव से पीडित रहना पडता है किसी समृद्ध सस्कति का पनप सकना श्रसम्भव है । भाग्य से भारत ऐसे स्थान पर स्थित है जहा प्रकृति श्रपने दान में मुक्तहरत रही है झ्रोर जहा के प्राकृतिक दृद्य मनो रम है । एक श्रोर हिमालय अपनी सघन पर्वत माला श्रौर उत्तुगता के कारण तथा दूसरे पादवों मे लहराता हुआ सागर एक लम्बे समय तक भारत को वाहरी झ्राक्मणों से सुरक्षित रखने मे सहायक सिद्ध हुए। उदार प्रकृति ने प्रचुर मात्रा मे खाद्य-सामग्री प्रदान की श्रौर इस प्रकार यहा के निवासी कठोर परिश्रम ग्रौर जीवित रहने के सघर्प से मुक्त रहे । भारतीयों ने कभी यह अनुभव नहीं किया कि ससार एक युद्ध-क्षेत्र है जहा लोग गक्ति सम्पत्ति श्र प्रभुत्व की प्राप्ति के लिए सधर्प करते हैं । जव हमे पाथिव जीवन की समस्याश्रो को हल करने प्रकृति से अधिकाधिक लाभसाधन करने तथा ससार की दवितियो को निमत्रित करने में भ्रपनी दाित को व्यथे नहीं गवाना पता तो हम उच्चतर जीवन के विषय मे इस चविपय मे कि झात्मदार्कित में किस प्रकार श्रौर श्रधिक परर्णता के साथ रहा जा सकता है सोचना- विचारना श्रारम्भ करते है । सभवत. यहा के दुर्बल वनानेवाले जलवायु ने भारती यो को




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