अमरीकी इतिहास की रूपरेखा | Amreeki Itihash Ki Rup Rekha
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.74 MB
कुल पष्ठ :
159
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न वर्जिनिया में और न मरोलेण्ड में हो किसी बड़ व्यापारी वर्ग का विकास हुआ ययोकि
बागान मालिक स्वयं ही सीघ लन्दन से व्यापार करते थे |
य॑ उत्तरी त्र दक्षिणी कं रोलाइना के प्रदेश ही थे जो चात्संटन जे से प्रमुख बन्दरगाह
होने के कारण दक्षिण में व्यापार के केन्द के रूप में विकसित हुए |. यहां के बसने वालों
नशोघ हो कषि और व्यापार मे गमन्वय नरना सोख शिया |. यहां स्थापित बाजार
के कारण यह उपनिवेजा सम्पब्न और समृद्धिशाली हो गया । घने जंगछो से भी आमदनी
हुई। लम्बों पती वाले चोड़ से रोजिन और टार का उत्पादन होता था । थे
वस्तुएं विधव-व्यापार की दृष्टि से बड़ी महत्वपूर्ण सिद्ध हुई । वजिनिया की भांति यहां
के किसान केवल एक फसल हो उगा पाने के लिए विवश ने थे ।. यहां बई फसल तेयार
होती थो ।. करोलाइना में सावल, नील और नौ-चालन सम्बन्धी दूसरी वस्तुओं का
उत्पादन ब निर्यात होता था ।. १४५० तक उतरी वे दक्षिणों करोलाइना में कोई
एक लाख से अधिक बादिन्दें रहने लगे थे ।
दक्षिण में भी दूसर अन्य उपनिवेशों को भाति--नवरसाण्ट पव॑तों से ठेकर न्ययावं में
मोहांक नदी पर कट हुए जंगलों के क्षेत्र तक, नी ले एलबनीज कें पूर्वी किनारों तक और
वजिनिया के जेनानडोहा तक-भीतरी इलाकों का जो कि 'सीमान्त' कहलाते थे, विकास
विदोष महत्व का चोतक बन गया । सागर लट पर बसों सेठ बस्तियों को तुलना में
क आशा को अपैक्षाकत अधिक आजादी को आकाशा रखने वाले लोग उस बरितियों की
सोमाओं को लांघ कर भीतर की और बढ़ते गये । जिन लोगों को सागर तट पर उवंरा
भूमि नहीं मिल सको अथवा जिनको भूमि बेकार और बं जर हो चुको थी उन्होंने पश्चिम
में और आगे बढ़कर पहाड़ों इलाकों में घारण सना लामप्रद रमका । सीधघ् ही भीतरी
इलाकों में फाम दिखायों पड़ने लगें ।. उनके सालिक किफायत से खली वारने नें साथ
ही अपनी पुरानी बस्ती के जीवन की तुलना में अधिक आध्यात्मिक रवतन्त्रता को उपभोग
करते थे ।. भीतरी दलावों की भमि की अर साधारण वे छोट किसान ही आर्कापित
नहीं हुए ।. अमरीका के लीसरे राष्ट्रपति टामस जेफर्स न के पिला पीटर जफर्सन भी जो
एक उद्यमों सर्वक्षक थे, इस परबलीय
बदले यहा को ४०० एकड़ भूमि खरीदी थो ।
पव॑तीय लरादयों में जावर बसने वालों में हालीफि वुषछ बढ़न्वह भन्मालिक भी थे
किन्तु पूर्व को बसों हुई बस्तियों को छोड़कर वहां जाने वालो में ज्यादातर पोग छोटे
किसान ही थे । वे लोग इंडियनों (मल निवासियों ) के क्षत्रों के पड़ोस में रहते थे ।
इनके कोठर हो इनके दुग थे और आत्म रखा के लिए इन्हें अपनी तेज निगाह और पिस्वस-
नीय बन्दूकों का ही भरोसा था ।. आवश्यकता ने उन्दें दबंग और आत्मथिश्वासी बना
देड में बसे थे । उन्होंने एक प्याला दाराब के
दिया था । उन्होंने वहां की भूमि साफ की, जंगल काटे, काडियों को जलयूकार ज़मीन को
खेती के योग्य बनाया और फिर कट हुए जंगली पेड़ों के ठठा के आस-पास गेंह वे सबका
की खली को ।. मर्द शिकारी-कमीज ओर परों सें हिरन को खाल के खोल पहिनत थे ।
स्थियां घर के बुने-सिले पेटीकोट पढ़िनती थीं । उनका भोजन था : सुअर का गोस्त
और मकके को दिया, भना हुआ हिरन का सोधत, जंगलों टर्की, लीतर या चकंर और
पड़ीस के जलनखोतों में मिलने बाजी सछालियों । उनके खल-तमाश वे आमोद-प्रमाद
के तरोके भो अनोखे और जबदस्त थननएक एसा उत्गव जिसमें एक पुरा बड़ा
चीपाया समा भना जाता था, नव दम्पति के पह्प्रवेण का जलन, नाच,
मदिशपान, निशानेबाजी के दगलछ आदि ।
शिक्षा की व्यवस्था कंसे हुई
पुराने और नए, पूर्व और पश्चिम, एटलांटिक के तट पर के बसे हुए इलाकों और
भोतरों क्षेत्र को बस्तियों के बोल को खाइयां प्रत्यक्ष दष्टिगोचर हो रही थो | समय-
समय पर ये सतभद बड़ा वे नाटकीय रूप ले लते थे। फिर भी, प्रत्येक क्षेत्र
ने दूसरे पर अपना प्रभाव दाल ब्षोकि हर लखत से अलग नान के बाधजद ट्रक में निहित
विभिन्न तत्वों का दूसरे झत के विभिघ तस््वों के साथ निरंतर सेलमिलाप वे आदात-
प्रदान दोता रहता था ।. अप्रगासी लोग पश्चिम की आर बढ़ते गय और अपने साथ
अपनाकृत पुरानों सम्यता को बात भी ते गए । उन्होंने साए दुव्दाकों में जिस सभ्यता
और सस्कति को विकास किया उनमें वे परम्पराएं भी शामिल थीं जो उनकी संयूवत
विरासत का ही हिस्सा कहां जा सकता था | पदिचस जान वा अनेक याओी लौट कर
आने और अपने स्व जनों थे मि्ों को अपनी रामकहानों सूना कर उनके सन में सतसनी,
जोग वे उत्सुकता पेदा कर देने |. पश्निसों प्रदेशों के छोगा से राजनीतिक बहेसों में थी
अपनों आवाज बुलन्द की जिससे टोति-रिवाजों बे पर्सपराओं की निय्ललता भग
हो जाती थी ।
का कोर्ड भी व्यक्ति आसानों के साथ सीसास्त पर एक नया घर बना सकता था | सह
एकि एसी लक्तिशाएी तथ्य था जिसको वजह से पुरानी चस्तियों के अधिकारी पर्गाति अए
परिवर्नन को रोकने में सफल नहीं हो सके । इस तरह से लत बर्ती बस्तियी पर आधिपत्य
जमान बाल लाग समय-समय पर साजलीलिक नोलियो, सम वितरण व्यवस्था आर
इससे थी अधिक सहस्वपुर्ग लथ्य पह था कि एएक स्वातित उपनिवेदा
घामिक नियमों को जनता की मांग के अनुसार अपदकल उदार बनाम के लिए विवश
होते रहे। जनता की उस भाग के पीछे सब दस बाल की धमकी लिलित सहेली थी दि
यदि उसकी मांगे पूरी ने हुई लो बे बड़ों लादाद मे उन बस्ती को छा टकर सीमारत
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