बोल्गासे गंगा | Bolgase Ganga
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
233.67 MB
कुल पष्ठ :
392
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). वक्त दूसरे तीनने पीछेसे खाली पा चौबीसें पुरुषपर हमला किया और
_ बवावका मौका ज़रा मी दिये बिना ज़मीनपर पटककर उसकी भी लाद
_ काड़ दी | जब तक लोग उधर ध्यान दें, तब तक पोड़शीकों बह पचीस
' हाथ दूर घसीट ले गये थे । माँने देखा, चौबरीसा पुरुष झ्धमरे भेड़ियेके
पास दम तोड़ रहा है । अघमरे भेड़ियेके मुँहमें किरसीने डंडा डाल दिया
: किसीने उसके श्रगले दोनों पैर पकड़ लिये, फिर चाक़ीने मुद्दे लगाकर
मेड़ियेके बहते हुए गरम-गरम नमकीन खूनकों पिया । मनि गलेकी हे
नाड़ी काटकर उनके कामको और आसान चना दिया | यह सब काम
चन्द मिनसेंमें हुआ था, लोग जानते थे कि. पोड़शॉका तुका वादा कर .
चुकनेके बाद ही मेड़िये हमपर आक्रमण करेंगे । उन्होंने सतप्राय चौबा-
से पुरुषको वहीं छोड़ तीन भाजुओं और मरे मेड़ियोंको उठा दोड़ना
_ शुरू किया; श्रौर वे सही-सलामत गुद्दामें पहुँच गये इनक से
.. स्ाग घाे-वायँ जल रही थी, जिसकी लाल रोशनीमें सभी बच्चे
तथा दोनों तरुशियाँ सो रही थीं । दादीने श्राइट पाते हो कॉपतो किन्तु.
हा गा निशान ! आर गई
“हाँ” कहकर माँने पहले दृथियारॉको एक शोर रख दिया, फिर
बह चमड़ेकी पोशाक खोल दिगम्बरी बन. गई । शिकारकों रख उसी
तरह बाक़ी सबने भी चमें-परिधानको हटा श्रागेके सुखमय उष्ण स्पश को
-रोम-रोममें व्याप्त होने दिया गए किया
.......श्रब सारा ठोया. परिवार जाग. उठा था । एक मामूला श्राइटपर
जाग जानेके ये लोग बालपनसे ही आदी होते हैं । बहुत सँमालकर खच
.. करते हुए. माँने परिवारका श्रब तक निर्वाह कराया था । हरिन, खरगोश,
गाय, मेड़, बकरी, घोड़ेके शिकार जाड़ा शुरू दोनेसे पहले ही ब
जाते हैं; क्योंकि उसी बचत वे दक्षिणके गरम प्रदेशकी श्रोर निकल जातें
हूं । माँके परिवारको भी कुछ श्र दक्षिण जाना. चाहिए था, किन्तु
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