बोल्गासे गंगा | Bolgase Ganga

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Bolgase Ganga by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. वक्त दूसरे तीनने पीछेसे खाली पा चौबीसें पुरुषपर हमला किया और _ बवावका मौका ज़रा मी दिये बिना ज़मीनपर पटककर उसकी भी लाद _ काड़ दी | जब तक लोग उधर ध्यान दें, तब तक पोड़शीकों बह पचीस ' हाथ दूर घसीट ले गये थे । माँने देखा, चौबरीसा पुरुष झ्धमरे भेड़ियेके पास दम तोड़ रहा है । अघमरे भेड़ियेके मुँहमें किरसीने डंडा डाल दिया : किसीने उसके श्रगले दोनों पैर पकड़ लिये, फिर चाक़ीने मुद्दे लगाकर मेड़ियेके बहते हुए गरम-गरम नमकीन खूनकों पिया । मनि गलेकी हे नाड़ी काटकर उनके कामको और आसान चना दिया | यह सब काम चन्द मिनसेंमें हुआ था, लोग जानते थे कि. पोड़शॉका तुका वादा कर . चुकनेके बाद ही मेड़िये हमपर आक्रमण करेंगे । उन्होंने सतप्राय चौबा- से पुरुषको वहीं छोड़ तीन भाजुओं और मरे मेड़ियोंको उठा दोड़ना _ शुरू किया; श्रौर वे सही-सलामत गुद्दामें पहुँच गये इनक से .. स्ाग घाे-वायँ जल रही थी, जिसकी लाल रोशनीमें सभी बच्चे तथा दोनों तरुशियाँ सो रही थीं । दादीने श्राइट पाते हो कॉपतो किन्तु. हा गा निशान ! आर गई “हाँ” कहकर माँने पहले दृथियारॉको एक शोर रख दिया, फिर बह चमड़ेकी पोशाक खोल दिगम्बरी बन. गई । शिकारकों रख उसी तरह बाक़ी सबने भी चमें-परिधानको हटा श्रागेके सुखमय उष्ण स्पश को -रोम-रोममें व्याप्त होने दिया गए किया .......श्रब सारा ठोया. परिवार जाग. उठा था । एक मामूला श्राइटपर जाग जानेके ये लोग बालपनसे ही आदी होते हैं । बहुत सँमालकर खच .. करते हुए. माँने परिवारका श्रब तक निर्वाह कराया था । हरिन, खरगोश, गाय, मेड़, बकरी, घोड़ेके शिकार जाड़ा शुरू दोनेसे पहले ही ब जाते हैं; क्योंकि उसी बचत वे दक्षिणके गरम प्रदेशकी श्रोर निकल जातें हूं । माँके परिवारको भी कुछ श्र दक्षिण जाना. चाहिए था, किन्तु




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